प्रतिज्ञा | Pratigya
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
172
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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इस प्रकार युग की आवश्यकता ने साहित्यकारों की लेखनी
फे स्ख कोफेरदिथा। इन नारको से पाश्चात्य जीवनमे एकं नया
संचार हुआ | इसका प्रमाण इन नाब्कों की सफलता है। जनता की
नाख्य-रचि के उत्साह को एकांकी के विकास से असीम सहायता मिली
है। न केवल इनका प्रचार रंग-मंच पर है, अपितु स्कूल ओर कालिनों
में भी इन्होंने अपना प्रमुत्व प्राप्त कर लिया है ।
श्ङ्करेजी लेखको ने नायको को पुस्तकाकार कर् लिया है,
जिनका पठन-पाठन मे उपयोग दरदा ई । शो (8४४) गाल्नवर्दीं
(७1४8०४४१) ओर यख (ए ९७१४8) श्रादि लेखकोने इस दिशा
मे युग-पर्वतक काकामकियाईै)र्शोकाष्दी मैन श्राफ उर्टिनीः,
दी डाक लेडों आफ दी सौनेट्स” और सॉज के 'राइडसे हू दी सी?
उत्तम एकांकी नास्कों के उदाहरण हैं ।
हिन्दी - में एकांकी का प्रचलन अड्गरेजी के अनुकरण पर
हुआ ह । पं० बद्रीनाथ मइ ने मनोरंजक प्रहसन लिखकर एकांकी का
द्वार खोल दिया था} उनकी चुगीकी उम्मेदवारी” में विनोद की
सुन्दर सामग्री प्रस्तुत है । प्रसाद? का (एक पुटः सपल एकांकी का
ज्वलन्त उदाहरुण है | इसमें जीवन की विनोदपूर्ण सामग्री और काव्य
की मनोहर झॉकी मिलती है | कुछ काल से पं० गोविन्दबल्लम पंत
और सुदर्शनजी ने अनेक एकॉकी नाटक लिके हैं जिनका' समय-संनय
पर मासिक पत्रों में प्रकाशन होता रहा है । इन नाझक्रों में उज्ज्वल
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