हस्तलिखित हिन्दी ग्रंथो का चौदहवाँ त्रैवार्षिक विवरण | Hastalikhit Hindi Grantho Ka Chaudahavan Traivarshik Vivaran
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
28 MB
कुल पष्ठ :
701
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)६५3
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७--४यीरगी के पद और मायादि फी निस्पारता भौर प्रषटनान
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८->ऊयीरजी के यचन এ एयर षी सा, भि तथा
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মাচা হা মাধ रुप प्रराशत |
१०--ररग्दापटी > सृष्टि फी उत्पत्ति, यूमावतार और उसका
विगर राथा प्रल्यादिफं साप उर
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য়ন ; फ्यार मत-संयधी उपदेश ।
१२०--रखता भ प्पीरपय संप॑पी उपदन ।
१३.--सापु-मादारण्य >€ माु-मादारम्य, पारश्नी, शुरतिषारितः
गुरनमादारग्प भादि १३४ पा पण।
१४८-- सुरति ष्ट सवाद् ৮ মথ ঘনা ছা লশ্া। দলশান ण्यं
অশযাশিফশজ ।
१५ प्यास गुर ॐ श्यामो फा पणन भर मा उपदन ।
१६-परिष्ट गाष्टी ৮ जीय, मावा, व्रद्न तया च्दादि मे सबंध
में बरिष्ट फा शगमिषता दियारर गिन
मत वी মহা সহী মলো।
दनम से स्या ३,४,५,८,९,१३ तथा १६ दे सात प्रय ग्य मे (पीत हैं ।
संप्या २ ( फन्यीशर, रान्यानर रमैयी ), ११ ( रमेगी ) भर ७ ( पद ) या ऐोइबर
अन्य प्रायों में कुछ भी फ्यार की रचना ६ एसमें सदृंद है । पयीर फे पाम पर उनके अयु
यावियों न पूय अर्यों फी रचा। फी ६ । दुघाय्रय पौराणिक स्यक्ति हैं, বাচা বাঘা ই আগ
হারাঘ ( दधात्रय गाष्टी ) गदत दी है। पैस ही गारपगोष्टी भी । फ्योंशि गौर भौर
कयीर के समय में शतारिदयों या चतर ६ । वपा दत शाणः पै रघयिता लोग भप समय
तङ कै मतो फी 'द्याण प्रयये भादि म पुरातेद) रखया५ शूला भादिसे
ठेर एक माम साय ( सगमग ए० सद् १८१९--१८४४ तक ) के मद्दतों वी दया पुरारी
गई है । सख्या १० कुरग्दावसी में धमदासी হারা ই महत भमोत्ताम सुरती साप
पे ( एगमग ६० सन् १७६४ से १८१९ तर } द्या पुरारी गड ६ । सभवत यद उदों
के समय वी रचा दोगी । ये ग्रंथ १८ यीं शतादी से पहए के यहीं जात पढ़ते | सएया ७
নী ই ধহ আত सासिया” यहुत मदण्वपूर्ण हैं | इसरी प्रतिलिपि किसी पैसोदास ने
सवत् १७१० वि० अपाढ़ पूना की की है । परतु तो” में शन्वेषय ने छिपि कराए ने जाने किस
आधार पर सबत, १६६६ दि० यताया दै। संभवतस्मंथ् पे पिसी भश में यद तिथि भी दी गई
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