नई तालिमा | Nayi Talima
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
110
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)गांधीजी के विचार १७
या आत्मा | तीनों के एक समान व्विकास में ही मनुष्य का मनुप्यत्व सिद्ध होगा |
इसमें सच्चा अर्थग्ात्र है । इसके अजुसार यदि तीनों विकास एक साथ हों, तो
हमारी उलझी हुईं समत्याएँ आसानी से सुल्झ जायें | यह विचार या इस पर
अमल तो देश को स्वतंत्रता मिलने के वाद ही होगा, ऐसी मानवता भ्रमपूर्ण हो
सकती है । करोड़ों मनुष्यों को ऐसे-ऐसे कामों में लगाने से ही स्वतंत्रता का दिन
हम नजदीक ल सकते है |
हरिजनसेवक, १७-४- १७
उद्योग द्वारा शिक्षा
एक नयी पद्धति की आवश्यकता में वहुत दिनों से महसूस कर रहा था,
क्योंकि में जानता था कि आधुनिक शिक्षा-पद्धत निप्फल सावित हुई है; और
यह पता मुझे जब में दक्षिण अफ्रीका से लेगा, तब जो वहुत से विद्यार्थी मुझसे
मिलने आते थे, उनके द्वारा छूगया | इसलिए सेंने आश्रम में दस्तकारियों की
शिक्षा दाखिल करके इसका आरम्म किया | निस्सन्देह, दस्तकारियों के शिक्षण
षर बहुत ज्यादा जोर दिया गया। नतीजा यह हुआ कि ओद्योगिक शिक्षा से
बच्चे जल्दी ही दिक आ गये ओर उन्होंने वह खयाल किया कि हम साहित्यिक
शिक्षा से वंचित किये जा रहे हैं। उनकी यह गलती थी, क्योंकि वहाँ उन्होंने
थोड़ा सा भी जो ज्ञान प्राप्त किया था, वह उससे तो कहीं ज्यादा था, जो कि
साधारणतया बच्चे पुराने ढर्र पर चलनेदाले स्कूलों में ग्रात्त करते हैं | पर इस
चीज ने मुझे विचार में डाल दिया और में इस नतीजे पर पहुँचा कि औद्योगिक
शिक्षा के साथ साहित्यिक शिक्षा नहीं, बल्कि ओोद्योगिक शिक्षा के द्वारा
साहित्यिक शिक्षा देनी चाहिए ! ऐसा करने पर वे ओोद्योगिक तालीम को एक
जल्गेल मशक॒त नहीं समझेंगे और साहित्विक शिक्षा में एक नया सन्तोष और
नयी उपयोगिता आ जावगी | कांग्रेस ने जब पद परहण किया, तब मुझे छगा
পাস
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