उत्तर प्रदेश के लोकगीत | Uttar Pradesh Ke Lokgeet

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Book Image : उत्तर प्रदेश के लोकगीत  - Uttar Pradesh Ke Lokgeet

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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बान्‌ सौथ ही उसके मूल रागों की रक्षा ही 1) संग्रह,में जो गीत संकलित किये गये हैं वे प्रकाशित सामग्री के श्राधार पर नहीं बल्कि कई स्थानों में उस गीत को सुनकर श्रौर उन विभिन्‍न संरकरणों की. सम्यक परीक्षा करके ही. ये गीत चुने गये हैं । हमारा विचार शा रतीय स्वर-लिपि में कु गा छ प्रसिद्ध लोक- प्रचलित घधुनों का रूपान्तर भी देते परन्तु वह स्वत्प समय मम्मव न हो सका | कर हि ि इस संग्रह में भोजपुरी, ग्रवधी, ब्रज, वुन्देली, कौरवी, गढ़वाली,. कुमायूनां केवल इन सात लोक भापषाग्ों के गीत संकलित किये गये हें । गीतों के चुनाव में लय, श्रंवसर ग्रौर दौली की विविधता का ध्यान भी रखा . गया हू । साथ हो तुलनात्मक अध्ययन के . लिए सामान्य या तुल्य श्रवसर के गीत देने की कोशिश की गयी हूं । कुमायूँनी श्रौर गढ़वाली गीतों को छोड़कर कप शेष लोक-भाषात्रों का मूल पाठ ही केवल दिया गया है । खड़ी बोली में रूपन्तर देना _झनाव््यक समभ्ा गया, क्योंकि इन गीतों की भाषा बहत स्पष्ट श्रौर घिगम्य है । पुस्तक के अंतिम पृष्ठों में, पाठकों की सविधा के लिए गीतों में प्रयुक्त कुछ वाब्दों के अर्थ और गीतों के नाम तथा उनकी रूपरेखा का संक्षिप्त वणन भी प्रस्तुत कर देने की चेष्टा की गयी इक इस संग्रह. के प्रकादान में समिति के अध्यक्ष श्री श्रीनारायण चतवेंदी मेरे पुवंवर्ती सचिव श्रीविद्यानिवास मिश्र, श्रीकृष्णानन्द गंप्त . तथा अन्य सदस्यों और संकलनंकर्तताओं से जो सहयोग मिला है, उसके लिए हम कृतज्ञ हैं । इतनी लोक-भाषात्रों के लोक-गीतों का एक साथ ऐसा संकलन अभी _ हमें विश्वास है. कि इस संग्रह का हिन्दी नम




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