बाल रोग विज्ञानम | Baal Rog Vigyanam
श्रेणी : स्वास्थ्य / Health
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
13.16 MB
कुल पष्ठ :
372
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)बाल-रोग-विज्ञानमू दे
बालक नहीं रोता है । इसका कारण यह होता है कि बालक
के मुख में गर्भ-कालीन एक प्रकार का कफ जमा रहता है
जिसके कारण वह शब्द निकालने में झसमथ रहता है ।
उत्त कफ को चतुर दाइयाँ ही पहचान सकती हैं । ऐसी
दूशा में कोई चतुर दाई शीघ्र ही बालक के सुख तथा नासिका
के लिद्रों में अँगुली डाल कर कफ को अच्छी तरह निकाल
मुख पोंछ देवे । इससे बालक शीघ्र दी श्वास लेने लगता है ।
इस उपाय के न करने से सजीव अवस्था में उत्पन्न हुआ
बालक भी श्वास-रोध के कारण सृत्यु को प्राप्त हो जाता हैं ।
बालक के न रोने का दूसरा कारण यह भी है कि बालकों
के गले में प्रायः एक नार ( नली ) लिपटा हुआ रहता है,
जिससे बालक रोने में झसमथ रहता है । इसलिए पहले उसे
छुड़ा देना चाहिए । कभी-कभी ऐसा भी होता है कि बालक
थैली ( गभे-कोष ) में लिपटा हुआ पैदा होता है। ऐसी
दशा में चतुर दाई को 'छावश्यक है कि वह शीघ्र ही होशि-
यारी से दसे हाथ या शखर के द्वारा काट देवे; परन्तु शख
प्रयोग द्वारा काटने में बालक के अड्डों की पूरी रक्षा करनी
चाहिए। पूर्वोक्त रीति से थैली को फाड़ने या काटने से उसका
जल निकल जाता है और बालक श्वास लेने में समय होता
है। इस यैली में देर तक रहने से बालक की सृत्यु की पूरी'
सम्भावना रददती दै। यदि बालक किसी प्रकार की नस से
लिपटा हुआ पैदा दो तो उसे भी तुरन्त ही छुड़ा देना चाहिए.
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