श्री जैनागम तत्त्व दीपिका | Shri Jainagam Tatva Deepika

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Shri Jainagam Tatva Deepika by पंडित श्री घेवरचंद जी बांठिया -pandit shri ghevarchand ji banthiya

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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) जेनागम तत्त्व दीपिका (२१) 7०-अहमिन्द्रों को-अर्थात, जिनमें छोटे बड़ों 1 मेंद्र न हो उन्हें कल्पातीत कहते दें । ६२ प्र०-कल्पोपपन्र फे वितते मेद्‌ हे! 5०- केल्पोपपन्न देवों के बारह भेद हं-१सीधम दशान ४ सनत्कुमार ४ माहेन्द्र ५ अद्यतोक लान्तक ७ शु करस पटस्रार ६ श्राणत १० प्राणत '१ आरण १० अच्युत । ६६ प्र °-तीन फिल्विपिक कँ खते ई? 3०- पहले दूसरे देचललोक के नीच.तथा तीसरे इबलोक के नीचे, छठे देवलोक के नीच, तीन क्रल्विपिक रहते ट । १ जिपल्योपमिक, २ चैसा- गरिक, ३ त्रयोदशसागरिक, ये उनके क्रमशः स्थिति के अनुसार नाम हैं। ७० प्र०-कल्पातीत कितने प्रकार के हैं? 3«-कल्पातीत दो प्रकार के हैं-१ ग्रेवेयक- और ,२ श्नु घ्ेमानिक ।




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