श्री जैनागम तत्त्व दीपिका | Shri Jainagam Tatva Deepika
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
982 KB
कुल पष्ठ :
136
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)) जेनागम तत्त्व दीपिका (२१)
7०-अहमिन्द्रों को-अर्थात, जिनमें छोटे बड़ों
1 मेंद्र न हो उन्हें कल्पातीत कहते दें ।
६२ प्र०-कल्पोपपन्र फे वितते मेद् हे!
5०- केल्पोपपन्न देवों के बारह भेद हं-१सीधम
दशान ४ सनत्कुमार ४ माहेन्द्र ५ अद्यतोक
लान्तक ७ शु करस पटस्रार ६ श्राणत १० प्राणत
'१ आरण १० अच्युत ।
६६ प्र °-तीन फिल्विपिक कँ खते ई?
3०- पहले दूसरे देचललोक के नीच.तथा तीसरे
इबलोक के नीचे, छठे देवलोक के नीच, तीन
क्रल्विपिक रहते ट । १ जिपल्योपमिक, २ चैसा-
गरिक, ३ त्रयोदशसागरिक, ये उनके क्रमशः
स्थिति के अनुसार नाम हैं।
७० प्र०-कल्पातीत कितने प्रकार के हैं?
3«-कल्पातीत दो प्रकार के हैं-१ ग्रेवेयक- और
,२ श्नु घ्ेमानिक ।
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