चारित्र चक्रवर्ती | Charitra Chakravarti

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Charitra Chakravarti by आचार्य श्री शांतिसागर - Acharya Shri Shantisagar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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{ १५} थेष्ठ अहिसा, अपरिग्रह, ब्रह्मचर्य, सत्य दथा अचौय के अप्रतिम आराधक विद्यमान हेँ। वे चरित्र के चक्रवर्ती होगे के कारण भव्यात्माओं वेः द्वारा चरित्र चत्रवर्ती के रूप मे चंदतीय हैं। उनके मंगल जीवन पर विविध दृष्टियों से प्रकाश डाछने का हमते इस ग्रय में प्रयत्व किया है। हमें मस्भूमि में फिरकर জজ वय संग्रह कर कछश लाने बाछे व्यक्ति के समान पद पद में कठिनता वा अनुभव करना पड़ा हूँ आध्यात्मिक संत जातिसागरजी के पास से उनके व्यक्ति गत जीवन को सामग्री पादा उस समय रे असभव हो गया, जब उन्हे यह्‌ स्नात हुआ कि उनके उज्यल जीवन से हम जगत को परिचित कराने के लिये कुछ लिख रहे हैँ । गाधी जी के जीवन पर महत्वपूर्ण सामग्री हमें इसलिये मिल जाती है, कि स्वयं उनने कृपाकर अपने जीव की कहानी लिख दी, दुसरे लिखने वाले लेखक को सामग्री दो और हर प्रकार का सहयोग दिया, इससे उनका सजा हुआ जौकेन छोगो को मिल जाता ह । हमारी कया इससे विलक्षण है; इसलिये हमने कनटिका प्रात भँ पर्मटन कर वृद्धजनो आदि से सामग्री प्राप्त करने का उद्योग किया, जहा में चारित्र-चक्रवर्ती पहले रहते थे तथा जदा इनमे बिहार किया है। इस उद्योग से जो सामग्री मिली हैँ, हमें विव्वास हैं, कि बह इसके महनीय जीवन को समझ ने में सहायव' होंगी और प्रत्येक मानव के अंतःकरण को प्रवाश प्रदान करेगी। वास्तव में इस संतराज का আন धन्य हैं, जिनने इस मनुष्य जीवन की अमूल्य निधि मुनि वृत्ति कौ घारण कार अपूर्वे साम्यरूपी अमृत व पान किया है 1




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