मवलिंगी और द्रव्यलिंगी मुनि का स्वरुप | Mavlingi Aur Dravyalingi Muni Ka Swaroop
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
1 MB
कुल पष्ठ :
53
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( ६ )
अब देखना यह हें कि परम पूज्य आचाय शांति सागरजी
महाराज, परम पृज्य मुनिराज चंद्र सागरजी महाराज, श्री कुथु
सागरजी महाराज, आ० नमिसागरजी एवं श्री जयकीर्तिजी, हेम-
सागरजी, सुभतिसागरजी, आदि सागरजी आदि जो थोड़े २
समय पहले ही दिवंगत हुये हैं तथा वर्तमान काल में व्यिमान
आचाये श्री बीरसागरजी, श्री शिवसागरजी, श्री धर्मंसागरजी, श्री
पद्मसागरजी, श्री महाबीरकातिजी, श्री नेमिसागरजी, श्री देश
भूषणजी, श्री पायसागरजी, श्री “चंद्रकीतिजी, श्री वज्कीतिजो
महाराज आदि परम तपो घतनों में उक्त सृत्र पाहुड को १६ गाथाओं
में बतलाये गए अभाव लिगी ( द्रव्यालेंगी ) के लक्षण घटित
होते हैं क्या ९? यदि उनमें एक भी लक्षण घटित नद्दीं होता तो
उन्हें भाव लिंगी न मानना अपने को श्री कु दकदा चाय से भी
यद् कर सममना है या भगवान कुदकुदाचाय के भी सर पर
चढ़कर प्रलाप करना है ।
ये महान तपस्वी महापुनिराज आध्यात्मिकश की साक्षात
सप्राण मत्तियां हैं जबकि अन्य लोग आध्यात्मिक पूज्य संत होने
की केवल जबानी ही डींग मारते हैं ओर बम्तुतः देखा जाय तो
यहां कथवी के सिवाय करनी का नास भी नहीं हे | ये मुनिराज
तथा इनके लघुनंदन ऐलक क्ुल्लक, आर्यिका, चुल्लिका आदि
अधिक आहइंबर पूर्ण थोथी कथनी न कर उस कथनो को कार्यो-
न्बित कर रहे हैं ओर सच्चे वास्तविक परम आध्यात्मिक संत
है | आध्यात्मिकता का अर्थ मोह पर जिजय पाना हे। जिन्होंने
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