ग्रन्थ परीक्षा तृतीय भाग | Granth Pariksha Bhag 3

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Book Image : ग्रन्थ परीक्षा तृतीय भाग  - Granth Pariksha Bhag 3

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जैनोलॉजी में शोध करने के लिए आदर्श रूप से समर्पित एक महान व्यक्ति पं. जुगलकिशोर जैन मुख्तार “युगवीर” का जन्म सरसावा, जिला सहारनपुर (उत्तर प्रदेश) में हुआ था। पंडित जुगल किशोर जैन मुख्तार जी के पिता का नाम श्री नाथूमल जैन “चौधरी” और माता का नाम श्रीमती भुई देवी जैन था। पं जुगल किशोर जैन मुख्तार जी की दादी का नाम रामीबाई जी जैन व दादा का नाम सुंदरलाल जी जैन था ।
इनकी दो पुत्रिया थी । जिनका नाम सन्मति जैन और विद्यावती जैन था।

पंडित जुगलकिशोर जैन “मुख्तार” जी जैन(अग्रवाल) परिवार में पैदा हुए थे। इनका जन्म मंगसीर शुक्ला 11, संवत 1934 (16 दिसम्बर 1877) में हुआ था।
इनको प्रारंभिक शिक्षा उर्दू और फारस

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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{ ३1} तिले का को अनप्त ही চিত सका | मैं उस वक्त से बार हो दूसरे जरुरी कामों से দিবা रहा हूँ। आम मौ १ प, वष, एके लिये काफी समय नहीं है--दूसरे अभिक शरूरी कामों क ढेर का ढेर सामने पढ़ी हुवा है और उसकी चिंता हृदय को व्यपित मर रही है- परंतु कुछ अरे से कई मित्रों का यह लगातार झाम्रह चढ़ रह है कि इस लिवर की शौ परी कौजाय | वे आग कत सकी वरदौ को ख़ास तौर से भारय मसू অর ই ই জীং {सवे भाज दृ का यत्िचित्‌ प्रयल किया जाता है।. , इस त्िव्णाचारका दूसरा नाम म रिकः पष गी है भर यह तेर भयाय मे पिमानित दै। ते कत सोगन, यथपि, भेक पे म अपने को शि, भारौ, भौर शुनी तक विते है एत वे बालव তন आधुनिक मटर में से पे मिन्‍्दें शिपिताधारी भर परिददधारी साधु अपवा अमर्णामास कहते हैं । और इसलिये उतके विषय में बिता कि दद के य मौ नष श न एकता क वे पोह ते श्रावक वो ७ थीं प्रतिमा के मी धारक ये। उने भरी को पुण गष्ड़ के मरक युगपरि कष्य चिठा हे घौर साप हौ मेनकां गुर का जिस ह ते उदे किमा दै ठससे यह जान पढ़ता।है कि वे इनके विया युद थे । भद्गरक सोमसेननी ब हुए हैं. भौर उन्होंने किस सन्‌ सलत में त परिष. एना की है, इसका अतुपन्‍्वार करने के वे की दूर जान शी गहत नह दै। सयं रमी षके भत म शिखे है- , ¢ । व # वथाः ` । “ओऔभट्टारक सोमेन सुनिषिः * ॥ २-११४॥ শন घोसेन भदित. ४-२१७॥ “परुपपाश्िटि। सोमसेनैमुनीन्टै! ॥ ९-११०॥




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