ग्रन्थ परीक्षा तृतीय भाग | Granth Pariksha Bhag 3
श्रेणी : जैन धर्म / Jain Dharm
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5 MB
कुल पष्ठ :
286
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
जैनोलॉजी में शोध करने के लिए आदर्श रूप से समर्पित एक महान व्यक्ति पं. जुगलकिशोर जैन मुख्तार “युगवीर” का जन्म सरसावा, जिला सहारनपुर (उत्तर प्रदेश) में हुआ था। पंडित जुगल किशोर जैन मुख्तार जी के पिता का नाम श्री नाथूमल जैन “चौधरी” और माता का नाम श्रीमती भुई देवी जैन था। पं जुगल किशोर जैन मुख्तार जी की दादी का नाम रामीबाई जी जैन व दादा का नाम सुंदरलाल जी जैन था ।
इनकी दो पुत्रिया थी । जिनका नाम सन्मति जैन और विद्यावती जैन था।
पंडित जुगलकिशोर जैन “मुख्तार” जी जैन(अग्रवाल) परिवार में पैदा हुए थे। इनका जन्म मंगसीर शुक्ला 11, संवत 1934 (16 दिसम्बर 1877) में हुआ था।
इनको प्रारंभिक शिक्षा उर्दू और फारस
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand){ ३1}
तिले का को अनप्त ही চিত सका | मैं उस वक्त से बार हो
दूसरे जरुरी कामों से দিবা रहा हूँ। आम मौ १ प, वष, एके
लिये काफी समय नहीं है--दूसरे अभिक शरूरी कामों क ढेर का ढेर
सामने पढ़ी हुवा है और उसकी चिंता हृदय को व्यपित मर रही है-
परंतु कुछ अरे से कई मित्रों का यह लगातार झाम्रह चढ़ रह है कि
इस लिवर की शौ परी कौजाय | वे आग कत सकी वरदौ
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साधु अपवा अमर्णामास कहते हैं । और इसलिये उतके विषय में बिता
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मरक युगपरि कष्य चिठा हे घौर साप हौ मेनकां
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“ओऔभट्टारक सोमेन सुनिषिः * ॥ २-११४॥
শন घोसेन भदित. ४-२१७॥
“परुपपाश्िटि। सोमसेनैमुनीन्टै! ॥ ९-११०॥
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