बदनाम | Badnaam
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
532.11 MB
कुल पष्ठ :
204
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)बुदाती रहीं । फिरसिर को नवाकर मुरति को नमस्कार किया ।
यही क्रम काफी देर तक चलता रहा । इस तरह उन्होंने सात वार
किया ।
मैं ध्यान से उनकी उनकी गतिविधियों की देख
रहा था । मैं जानना चाहता था कि इस मूर्ति से इनका क्या संबंध
हो सकता है कि इनकी मी इतनी मर्क्ति के साथ पूजा करती हैं ।
मुति की श्रोर मैंने गोर से देखा । उसकी चमक से तो ऐसा
लगता था, मानों वह भ्राज ही तंयार की गयी हो । कला की
सफाई बेजोड़ थी । मूर्ति के किसी मी म्रंग में अ्रस्वा माविकता नहीं
थी। हर प्रंग, हर दशा में प्राण होने का सदेह हो जाता था । एक
साथ चार मूतियों का गढ़ना कठिन-सा होता है, उस पर मी इतनी
सफाई ।
मेरी भ्रांखें उसे हमेशा देखते रहना चाहती थीं ।
मैं उनकी पूजा समाप्त होने का इन्तजार करने लगा ।
हा
तीन
घंटा वाद वह वहाँ से उठकर श्रन्दर चली गई ।
मैंने सोबा--हो न हो, इस बुढ़िया के जीवन की कहानी लंबी
तो होगी ही, साय हो दिलचस्प श्रौर करुणा मी । श्राज तक किसी
मूत्ति या तस्वीर के समक्ष इतनी श्रद्धा से पूजा करते मैंने किसी को
नहीं देखा या । यह एक मेरे लिए बात
र्मुत वात थी,
ध्राइचयं की ! ! दर हर
“रब कहिये, ्राप लोग” कमरे में प्रवेश करती हुई वुढ़िया
११
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