चन्द्र विजय | Chandra Vijay

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Book Image : चन्द्र विजय  - Chandra Vijay

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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चन्द्र-बिजय सम्बन्ध में आज ऐसी कोई समस्या नहीं है, जिसका हमारे पास हल न हो अथवा जिसका हल प्राप्त करने का सामथ्ये हम में नहो। इस दिशा में सब से पहला कदम है, आदमी को वायुमंडल से परे अंतरिक्ष में पहुँचाना। ग्राणदायक वायुमंडल से परे जो निवीत शल्याकाश है, वही अंतरिक्ष है। वही हरमे शेष ब्रह्माण्ड से प्रथक्‌ करता है । हमने अति शक्तिशाली यंत्र राको से उस शूल्याकाश को मेदना प्रारम्भ कर दिया है } इनमे से कई रकेट ढाई सौ मील की छँचाई तक पहुँच चुके हैं। ये “ उड़नेवाली प्रयोग-शालाएँ ” वस्तुतः कल के मानव-युक्त राकेट-यानों के पूर्व- रूप हैं। इन अंतरिक्ष-गामी राकेट-यानों द्वारा प्राप्त वैज्ञानिक जानकारी और फिलहाल उपलब्ध विस्तृत मौतिकज्ञान के आधार पर, हम यह जानते हैं कि अंतरिक्ष की यात्रा में हमें किन कठिनाइयों का सामना करना पडेगा। आज आवश्यकता केवल इस बात की है कि, हम इतने बड़े राकेट यान का निमोण कर लें, जो आदमी को वायुमंडल से परे की यात्रा कराने मे समध हयो] हम यह जानते हैं कि ऐसे यान किस प्रकार बनाये जा सकते हैं। इस यान के यांत्रिक विवरण हम आज मी बता सकते हैं। यही क्यो, हम इसकी सी व्यवस्था कर सकते हैं कि यान में बैठे आदमी को अंतरिक्ष के अपरिचित वातावरण से किस ग्रकार सुरक्षित रखा जा सकता है। व्यावहारिक दृष्टि से देखें, तो वायुमंडल से ऊपर का यह अंतरिक्ष प्रथ्वी के घरातल से १२० मील की ऊँचाई पर 1६




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