पद्मावत | Padmawat
श्रेणी : काव्य / Poetry
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
8 MB
कुल पष्ठ :
220
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)पहला खर्ड
हाथ सुलैमां' केरि अँगूठी। जग कहँ दान दीन्ह सरि सूठी ॥
ओ अतिगरुअ पुडुमिपति मारी । टेकिपुह्दुमि सब सिश्टिसेभारी ॥
दो०--दीन्ह असीस सुहम्मद् करइु ज्ञुगहि ज्ुग राज।
“ पातसाह तुम जग के गा तुम्हार मुहताजर ॥१३॥
पा
वरनौ सूर भूमिपति राजा । भूमि न भार सहै जेहि साजा ॥
हय गय सेन चले जग पूरी | परबत हूटि उड़हि ह धूरो ॥
रेघु रइनि हे रबिहि गरासा । मानुस पंखि लेहिं फिरि बासा ॥
सतखंड धरती मड खरखंडा । उपर अष्ट शोहि ब्रह्म॑ंडा॥
डो गगन ईदर डरि काँपा | बाखुकि जाय पतारहिं चापा॥
मेरू धसमसे समुंद खुखाई। बनखँड टूटि खेह मिलि जाई ॥
अगिलन कह पानी खरश्वॉटा। पछिलन कह नहिं काँदौ “ आँटा ९॥
दोहा--जे गढ़ नए न काहुइ चल्त* होहिं ते चूर ।
जो वह चढ़े पुहुमिपति सेर साह जग सूर ॥१७॥
चोपाई
अदल करौ जस पृथी रोई । चांटा चलत न दुखयै कोई ॥
नोशेरवाँ जो आदिल८ कहा । साह दल सरि से नहि अहा॥
१९ शलेमान = एकं प्राचीन यहूदी राजा जो बडा प्रतापी श्रौर दानी
था। इसकी अंगुठी में यह छिद्धि थी कि ज्यें ज्यों दान देता त्थों स्यो धन
बढता था। २ झहताज > सुखापेन्नी । # यह उक्ति जायी ने फिरदोसी
के शाहनामा से ली है। फिरदौसी ने लिखा है :---
০৪১ 3९३ (110 ৩1১০০ (৮০১ *
( (59५ ) ০০০ ১৬৯৮৫ 0৮০১০ ০৯০ ৩৮৮)
३ खरज-लकड़ी घास। ४ कादौ = कीचड़ । & গ্সাতা: (গলা) জবান
होना । ६ इसमें चपलातिशयेक्ति है। ७ नोशेरवा--फारिस देश का एक
राजा जो न्याय करने में प्रसिद्ध था । ८५ आदिल ८ न््यायी ।
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