वे और हम | Ve Aur Ham

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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नई-नई जवान की लो से खेलने की लगन अपनी बराबर रह आई है। अँगला और अंग्रेजी .की छन तो ख्रौर, बचपन ही से दून पर रही, मगर कॉलेज में आकर कटर-मटर कुछ फ्रथ्व भी जान लेने का शौक चरोया। हमारे अंग्रेजी के प्रोफेसर अंग्रेज हो कर भी प्रश्व के आशना थे वेजोड़ चैसे तो जर्मन ओर इटालियन तक भी पहुँच थी उनकी, मगर दिल की . -द्रीचियौ तक शायद पर् जवान दी. उतर पाई, अंग्रेजी भी बेसी नहीं। अंग्रेजी की जमीन उर्वर चाहे जो हो, मगर रस का कौक्षरतोश्री्वदीर्े भरपूर दे बरावर। मगर, कॉलेज में तो ऋश के लिए कोई जगह न थी ओर को की किताबों के साथ-साथ फ्रोघ्च भी लिए चलने थी वेसी ग्र|जाइश भी नहीं। बस, जिसे ऐसी लगन होती वह कॉलेज के घंटों के बाद उनसे मिल कर कुछ पूछ लेता, मगर हाँ, उन्हें खाली पाये तब न | जब देखो तब कुछ लिये वैठे---सिर चौर रहे. दें । दस कोई घेरे हुए हेँ इृद-गिद--जो दो-चार हमारी तरह फ्री श्वज नने के लिये मेडरा रै दँ उनकी पौर पर, वे रह जाते हैं हाथ मल कर ।




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