अमरुक शतक | Amruk Shatak
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
837 KB
कुल पष्ठ :
33
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( १६
४४. चार-चंद्रिका में मान-मोचन
मदथ के पात्नन में प्रतिबिबित, मनु मयंक (मरीचिन वारौ)
ताहि अँच गईं मानिनियाँ मधु-साथ सबे (कला सोरस बारो'
अंतर पैठि विनास करबओं, तेहि चद ते, मान-घतौ-अधियारी
मानिनि मान-विहीन भहं, मव (फणि गयो मधु हास उनासै)
५० वर्षा-बिरहूशकिता
भरि > आऔँखियाँ संतु, कभ ओर नो, घनी धेरि रही घनमाला
'वालम जाहूुगे जो परदेस को, आधौ क्यौ करि कहूं काला
छोर गहें पटुका के मेरे, धरती नख से रही लेखती बाला
पाठे करयो जौ कष् दथिता, सो कल्यो त परं (परयो जीह् वै ताला!
५१. तझनी प्रानप्रिया
दोर वक्र विलोल जअिलोकनि, अजन-रजित लोचन-वारी
गोरे, गरूरी, भरे, उभरें, निखरे श्वरे, पीन-पयोधर-वारी
भारी नितब के भार सो सालस, जो परत मंद उठावनन्वारी
या तरुनी मम्त प्रानप्रिषा, मिल जीवन-मोद बटावनबारे
५४२, मनोज के दास
जावक-रजित, नूतन पल्लव से मृवु मजुल ओऔ अछनारें
नूपुर के रव सो परिपूरित, जो मंदनानस से मतवारे
प्रेम पराध के कारस जो जन, जात है पॉवन सों अस मारे
जानि के आपने दास मनोज, स-प्रीति सकारत ते जन सारे,
५३. न रही प्रिया रोवति यातं
वट्लभे, नाथः, (तजौ इहि रोप कौ, 'रोषसोक्राविमरो हैतिहारीः
खेद धयो मोहि, है अपराध तिहारो नही, अपराध हमारो!
प्तौ कत् रोवति कंठ भरे इमि,' 'रोवति हौ केहि आगे, बिचागैः
'लेरे', 'तिहारी हों कौत, प्रिया, न रस्ही श्रिया रोवति यात, नचारौ,
४४, हेउँत-बयार
तुहिन सो सरस पराग कन कदन को
सरभित अति अलि सुखद अपार है
টু ৯০
1
User Reviews
No Reviews | Add Yours...