इमर्जेन्सी क्या सच ? क्या झूठ ? | Emergency Kya Sach? Kya Jhuth?
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5 MB
कुल पष्ठ :
255
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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टिकट देने से एक बात यह भी होगी कि दूसरे ग्रूप को भी संतोष होगा ।
भेरी इस बात पर चौधरी बंसीलाल ने भपनी मिचमिचाई शांखों से मेरी
झौर धूरा था भोर इन्दिराजी की प्लोर मुखातिब द्वोकर कह था--बहनजी, ये
तीनों नाम ऐसे हैं, जिनमें किसी की जमानत नहीं बचेगी। मैंने हरियाणा की
वटं सोच सममकर लिस्ट बनाई है। जिताने की जिम्मेवारी मेरी। जिसे
নাগা, जितवाकर ले आऊंगा। भाप मरे ऊपर भरोसा रतं भौरमेरी
भौर देखते हुए उन्होंने धीरे से कहा था--बिहार की विन्ता करो कि क्या होगा,
हरियाणा की चिन्ता मेरे ऊपर छोड़ दो ।
इतिहास-चक्र किसी की कुछ भी सुनता नही है। पांच गांवों की भीख
मांगी थी पांडवों ने कौरवों से, लेकिन उन्होने दुत्कार दिया था। हरियाणा
भी कुरुक्षेत्र था। चर्द्रावती, प्रोमप्रभा जैन, द्रिगेडियर रणा सिह, भजनलाल,
भौर ऐसे ही बहुत सारे बेचारे इधर से इधर दौड़ते घलते थे, कोई उनकी
सुनने वाला नहीं था, बंसीलात का रौव ऐसा था कि किसी की हिम्मत नहीं
होती थी कि इनकी बात सुनें या न्याय के लिए एक शब्द बोले । प्रपानमत्री
ने भी सी० ई० सी० की बैठक में एक उसांस ली---ठीक है, देख लीजिये, मैं तो
जानती नहीं हूं, मैंने प्रापके सामने वह की बात रख दी--उन्होंने सदा की
भांति कहा, जो उनका तरीका था | वह बहुत कुछ इन बातीं में नही पड़ती थीं
कि किस फो टिफट मिल रहा है, किस को नहीं। वह यह जरूर चाहती थीं कि
ऐसे लोगों को टिकट मिले, णो जीतकर भराय पौर कुछ काम के हों ।
इस तरह को कितनी बातें, कितने उदाहरण मेरे पास हैं जिन्हे चाहता
हैँ कि कह दूँ, लेकिन सहमता हूं । भय नहीं खाता, कारण लिखने शौर कहने
की ईमानदारी मुझ में है, लेकिन सहमता हूँ इसलिए कि बहुतों का नकाब
उत्तर जायेगा भौर किसी के चेहरे से नकाब हटाना कोई भ्रच्छी बात तो
होती नहीं ।
जो पतिं भ्र के पृष्ठो मे कटने जा रहा हु, वह क्या कम है ? मैं जानता
हूं कि सही झौर सच्ची बातों को लिखकर झौर फहकर कितने लोगों का मैं
कोपभाजन बनमे जा रहा हूं, लेकिन सच्चाई श्रानी चाहिए गौर उस सच्चाई
के लिए मुझे यदि योड़ी हानि भी उठानी पड़े तो उसके लिए मैं तैयार हूं ।
यदि इतना नैतिक साहस भपने में न जुटा पाता, तो फ़िर 'दपा सच : दया
भूठ को कल्पना ही बेकार थी ।
भारत .एक ऐसा देश है जहां सैकड़ों-हजारों गुरू, भौलिया, पीर, श्ञानों,
सिद्ध पुरुष, मंत्रवेत्ता भपनी सिद्धि भौर विद्या लिये चले गये, मिना किसो को
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