श्री कुंद कुंद वचनामृत | Shree Kund Kund Vachnamrit
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
678 KB
कुल पष्ठ :
27
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about ब्रम्हचारी नन्दलाल महाराज - Bramhchari Nandlal Mharaj
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)न ~ ज ¬ च च = সিল পাত পাখি
८---अकता ।
षटद्रन्यात्मक!-सोक प्रकाशक,
अर अलोक काजो ज्ञाता
रागदष क्रोधादि भाव का,
ज्ञातारे हे वह नहिं करता ॥
भावात्मक हो भाव सदाका,
आत्म सूप ही प्रगट रहा ।
क्षीर नीरवत् देख व्यवस्था,
जिन-वरने व्यवहार कहा,
९--दशन मोह
जीवरु पुद्गल द्रव्य सदाका,
आस्वादि कछ द्रव्य नहीं ।
पुण्य पाप भी द्रव्य कहां ! मति*-
वान, पिचारो बात सही ॥
भावात्मक हो उदय आवता,
बिना-ज्ञान° क्यों भाता? है |
यह मिभ्याच्च सहज भावात्मक,
दशन-मोह कहाता है ॥
१-छह द्रव्य । २--जाननेवाला । ३--ज्ञानता। ४३--क्रोधादि
भाव | ५--बुद्धि । ६--ठीक | ७--अज्ञान | ८--अपनाता |
User Reviews
No Reviews | Add Yours...