आलोचना इतिहास तथा सिद्धान्त | Aalochana Itihas Tatha Siddhant
श्रेणी : इतिहास / History
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
15.02 MB
कुल पष्ठ :
695
श्रेणी :
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दी समीक्ष तथा समि--श्रदूशुत रस वा मद काव्य वी नवीन परिभाषा
बाव्य वा वर्गीकरण श५१-- रैंप
कुक
उपसहार--सिद्धान्तों वी समप्रि - ऐतिहासिक वर्गीवरण--वा्य साधना
श्शघ-र६६
सप्तम प्रकरण
इ्द्द६
पुनजीयन काल की साहित्य साघना--मानय जगत् का महस्प--भाफण बला का
नवनिर्माण -वक्तृता के त्तत्स । फ्िचार तथा शैली--शब्द-प्रयोग--स्पप्ता तथा
सक्षिप्त कथन--प्राचीन साहित्यिक नियमों की मान्यता-- काव्य का श्रेष्ठ रुप --
आलोचना क्षेत्र का ऑ्नुमन्धान श७०-ग१७५८
$.२.:६
सोलहरवीं शती पूर्वाद की श्ालोचना--मापण शास्म वी. महत्ता-भापणु-क्ला
के तसव--नियमों का निर्माण--श्न्य साहित्यिक नियम--श्रनुकरणु-सिंद्धान्त वी
ब्याख्या--काव्य का महत्व १७६--१म६
2३:
सोलहरवीं शती उत्तराद का साहित्यिक वातापरणु--काव्य वा समर्थन--क्वियों का
वर्गीकरणु--वाव्य की श्रात्मा--सामाजिक इन्द--काव्य की प्राचीन सहत्ता--
श्रनुकरण सिद्धान्त--काव्य का मूल्य - भ्रामक सिद्धान्तो का निराकरणु--नाटक वा
विवेचन : दुष्लन्तकी -सुजान्तकी--गीतू काय श्दई-र४४
ही 2४:
साहित्यिक वातायरण : काव्य कला चिन्तन--वाव्य का लददय तथा उद्गम--काव्य-
कला : कवि तथा छ्द प्रयोग--ग्लवार प्रयोग
दे
रोलहर्वीं शती वा श्रन्तिम चरण : श्रा्लोचना-झषेत्र में नव स्पूर्ति--काव्य सम्बन्धी
विचार--नोटवीय श्रालोचना--नाटक रचना विषार : सुसान्तकी---दुः्यान्दकी--
नाटक रचना के नियम : देश काल विचार--भापा--विदूपक तथा श्रन्य पात्र -
काव्य तथा सगीत--व्यन्यान्य विचार
ही के प्र द
समहवी शत्री वा प्रथम न्वस्णु : साहित्यिक नगोत्साइ--वाव्य की व्याख्या--काव्य का
वर्गीकरण--मापण कला का
शा र६६.
१६६--२०७
पिवेचन--साहित्य चिन्तन- इतिहास र्वना--
रण
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