आलोचना इतिहास तथा सिद्धान्त | Aalochana Itihas Tatha Siddhant

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Aalochana Itihas Tatha Siddhant by

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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भर दी समीक्ष तथा समि--श्रदूशुत रस वा मद काव्य वी नवीन परिभाषा बाव्य वा वर्गीकरण श५१-- रैंप कुक उपसहार--सिद्धान्तों वी समप्रि - ऐतिहासिक वर्गीवरण--वा्य साधना श्शघ-र६६ सप्तम प्रकरण इ्द्द६ पुनजीयन काल की साहित्य साघना--मानय जगत्‌ का महस्प--भाफण बला का नवनिर्माण -वक्तृता के त्तत्स । फ्िचार तथा शैली--शब्द-प्रयोग--स्पप्ता तथा सक्षिप्त कथन--प्राचीन साहित्यिक नियमों की मान्यता-- काव्य का श्रेष्ठ रुप -- आलोचना क्षेत्र का ऑ्नुमन्धान श७०-ग१७५८ $.२.:६ सोलहरवीं शती पूर्वाद की श्ालोचना--मापण शास्म वी. महत्ता-भापणु-क्ला के तसव--नियमों का निर्माण--श्न्य साहित्यिक नियम--श्रनुकरणु-सिंद्धान्त वी ब्याख्या--काव्य का महत्व १७६--१म६ 2३: सोलहरवीं शती उत्तराद का साहित्यिक वातापरणु--काव्य वा समर्थन--क्वियों का वर्गीकरणु--वाव्य की श्रात्मा--सामाजिक इन्द--काव्य की प्राचीन सहत्ता-- श्रनुकरण सिद्धान्त--काव्य का मूल्य - भ्रामक सिद्धान्तो का निराकरणु--नाटक वा विवेचन : दुष्लन्तकी -सुजान्तकी--गीतू काय श्दई-र४४ ही 2४: साहित्यिक वातायरण : काव्य कला चिन्तन--वाव्य का लददय तथा उद्गम--काव्य- कला : कवि तथा छ्द प्रयोग--ग्लवार प्रयोग दे रोलहर्वीं शती वा श्रन्तिम चरण : श्रा्लोचना-झषेत्र में नव स्पूर्ति--काव्य सम्बन्धी विचार--नोटवीय श्रालोचना--नाटक रचना विषार : सुसान्तकी---दुः्यान्दकी-- नाटक रचना के नियम : देश काल विचार--भापा--विदूपक तथा श्रन्य पात्र - काव्य तथा सगीत--व्यन्यान्य विचार ही के प्र द समहवी शत्री वा प्रथम न्वस्णु : साहित्यिक नगोत्साइ--वाव्य की व्याख्या--काव्य का वर्गीकरण--मापण कला का शा र६६. १६६--२०७ पिवेचन--साहित्य चिन्तन- इतिहास र्वना-- रण




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