प्राचीन भारत का राजनीतिक तथा सांस्कृतिक इतिहास | Prachin Bharat Ka Rajnitik Tatha Saanskritik Itihas

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Prachin  Bharat Ka  Rajnitik  Tatha  Saanskritik  Itihas  by डॉ. विमलचन्द्र पाण्डेय - Dr. Vimalchandra Pandey

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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भारतीय इतिहास के साधन छ निदक्त---जा शास्त्र यह बताता है कि झमुक दाब्द का भझ्रमुक अ्थे क्यों होता है उसे निरुकत-दास्त्र कहते हैं। यास्क ने निरुक्त को रचना की थी। इसमें वंदिक शब्दों की निरुक्ति बताई गई है। यास्क ने श्रपने नियुक्त में १२ दी का उल्लेख किया है। इससे विदित होता है कि यास्क के पूर्व भी निरुक्त लिखे गए होंगे परन्तु भ्रभाग्य से वे विलुप्त हो गए हैं। यास्क के निरुक्‍त में १२ भ्रष्याय हैं । यदि उनमें दो परिदिष्ट मी गिन लिये जायें तो कुल श्रध्यायों की सख्या १४ हो जायेगी । छन्द--वदिक साहित्य में गायत्री त्रिष्टुपू जगती बृहती श्रादि छन्दों का प्रयोग मिलता है । इससे प्रतीत होता है कि व॑दिक-काल में भी कोई छन्द शास्त्र रहा होगा । परन्तु प्राज वह प्राप्य नहीं है। श्राज तो श्राचायं पिंगल द्वारा रचित प्राचीन छत्द - शास्त्र ही प्राप्त होता है। ज्योतिष--इस शास्त्र के प्राचीन भ्राचायों में लगध मुनि का नाम प्रमुख है इनके श्रतिरिक्त नारद सहिता ज्योतिष के १८ श्राचार्यों का उल्लेख करती है। इनके नाम हैं ब्रह्मा सूर्य वसिष्ठ भ्रत्रि मनु सोम लोमश म रीचि भ्रगिरा व्यास नारद झौनक भं.गू च्यवन गये कश्यप श्ौर पराशर। कालान्तर में श्रायंभट्ट लल वराह-मिहिर ब्रह्ममृप्त मुंजाल भौर भास्कराचार्य ने ज्योतिष-शास्त्र की विधेष उन्नति की । तियां -साहित्य के पदचात्‌ भारतवर्ष में कार का उदय डूगा सूत्रों की नॉलि समता भी मनष्य के सम्पूर्ण जीवन के विविध कार्ये-कलाझों के में अ्रगणित विधि निषेषों का प्रतिपादन करती हैं । प्रा रभिक स्मृतियो में मनुस्मृति पर याज्ञवल्क्य स्मृति प्रमुख हैं। महाकाव्य--भारतवर्ष के दो प्राचीन महाकाव्य है--रामायण श्रौर महाभारत । इन पर भ्रागे विचार किया जायेगा । पुराण-- पुराण का शाब्दिक अर्थ प्राचीन है । भरत पुराण-साहित्य के भ्न्तगंत वह समस्त प्राचीन साहित्य शभ्रा जाता है जिसमें प्राचीन भारत के घमं इतिहास भ्रास्थान विज्ञान भ्रादि का वर्णन हो । हमारे पुराणों में महत्वपूर्ण ऐतिहासिक सामग्री भरी का है। वस्तुतः कौटिल्य ने इतिहास के भ्रन्तगंत पुराण झौर इतिवृत्त दोनों को रक्‍्खा है। पुराण १८ हैं -- १ ब्रह्मपुराण २ पदूमपुराण ३ विष्णु-पुराण ४ शिव पुराण ५ भागवत पुराण ६ नारदीय पुराण ७ माकंण्डेय पुराण ८ भ्रर्निपुराण ९ भविष्य पुराण १० श्रह्मववर्त पुराण ११ लिंगपुराण १२ वराहपुराण १३ स्कन्द पुराण १४ वामन पुराण १४५ कूमंपुराण १६ मस्स्य पुराण १७ गरुड पुराण भौर १८ ब्रह्माण्डपुराण । साधारणतया पुराणों का विषय १ सगे सृष्टि २ प्रति सगे प्रलय के पश्चात्‌ पुनः सृष्टि ३ वंश देवतात्रों श्ौर ऋषियों के वंश ४ मन्वन्तर अनेक मनु भौर ५ वंशानुचरित राजवश है। २ बौद प्सें-प्रम्य ब्राह्मण साहित्य की भाँति बौद्ध साहित्य भी इतिहास-निर्माण में कुछ कम महत्व-




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