वर्णी वाणी (द्वितीय भाग) | Varni Vani (Dwitiya Bhaag)

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Varni Vani (Dwitiya Bhaag) by नरेन्द्र - Narendra

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about नरेन्द्र - Narendra

Add Infomation AboutNarendra

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
“सागरके सुप्रसिद्ध दानो” सेठ भगवानदासजी शोथालालजी बिड़ीवालों का संक्षिप्त परिचय श्रीमान्‌ सेठ भगवानदासजी और शोभालालजी सुप्रसिद्ध दानी रत्न ह । इनके संबन्धमे यद्यपि मध्यप्रान्तकी जनताको कुछ भी बतलाने की आवश्यकता नहीं है, क्योकि आप मध्यप्रदेशे बड़े भारी व्यवसायी हैं और इस द्वारा इन्होंने अथक परिश्रमसे विपुल घन कमाया है। इनका स्वभाव अत्यन्त मदुल, हंसमुख आकृति और दयाद्र परिणाम है । परोपकार गुणके कारण इन्होंने सागर जिलेमें पर्याप्र सम्मान एवं कीति पाई है । इस प्रान्तमें इनके कारण जेनसमाजमें काफी प्रेम और सौहाद बढ़ा है। इन्होंने अपने जीवनमें लाखों रुपयों का दान किया है । इनके दानकी सबसे बड़ी विशेषता यह है कि ये बिना किसी भेद्भावके द्रव्य, क्षेत्र, काल ओर भाव को पहिचानकर अत्यन्त आदर भावसे अपना कतंव्य सममकर निःस्वाथ दूसरों की आवश्यकताओंकी पूर्ति करते रहते हैं और उसमें अपना सौभाग्य मानते है । ये धर्मके सच्चे श्रद्धानी एवं गुरुभक्त हैं। पूज्यपाद्‌ प्रात:स्मरू णीय श्री १०५ छु० गणेशप्रसादजी वर्णी महाराजके ये परम भक्त हैं | गृहस्थके दैनिक षट्कम पालनेमें ये बड़े कट्टर हैं। इनके आचार




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now