आज़ाद हिन्द फ़ौज | Azad Hind Fauj
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4.52 MB
कुल पष्ठ :
184
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about रामशंकर त्रिपाठी - Ramashankar Tripathi
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)भारतमें राष्ट्रीय सेना
बिश्वविद्याठके ठा-रीडर श्री० के० भट्टाचार्यने पं० जवादरलाछ
के एक प्रश्न के उत्तर में कहा कि यह सेना जापानियों की
देखरेखसे नहीं अपितु उस अस्थायी-घ्वाधोन भारत सरकार के
तत्वावधानमे वनी थी जिसे संसारके जर्मनी, जापान शौर इटछी
. छादि £ खतन्त्र राष्ट्रॉकी स्वीकृति प्राप्त थी । अत: स्पष्ट है कि
यह सेना बिद्रोदी या विश्वासघाती नहीं अपितु शत्रु सेना स्वीकार
की जानी चाहिये । गत महायुद्ध में चेकोस्टोवाकियाके नाग-
रिकॉकी स्वतन्त्रता को मित्रराष्ट्रॉंनें स्वीकार किया था, यद्यपि
उस समय भी चेकोश्टोवाकिया आछ़िण के अधीन था। उसी
सिद्धान्त से इन मारतोय नागरिकों की स्त्राधीनता स्वीकार
करनी होगी ।
कछकत्ता दाईकोर्टके एडवोकेट श्री जे० एन० घोष, एम0 ए०
वी० एढ० ने “जन्तर/ष्ट्रंथ विधान आर आजाद हिन्द फोज”
नासक विस्तृत ढेखमें अकाव्य प्रमाणोंसे यह /सिद्ध कर दिया कि
इस सेनाके सेनिक विद्रोही नहीं अपितु युद्धरत-राष्ट्र के सेनिक
हैं और उसी प्रकार का व्यवहार इन्हें मिठना उचित है ।
ब्रिरिशि के सदस्य मि० आर«० सोरेन्सेनने इस प्रश्न
पर अपना मत देते हुए कद्दा कि * मेरी धारणा में ार्प्ट्यि
सेनामें सम्मिठित होनेवाले नागरिकों को कित्टिंग ( नारवे्रे
देशद्रोही का नाम) समकना मूठ है । जो इस सेना की नि
ऊ
User Reviews
No Reviews | Add Yours...