जापान का संविधान | Japan Ka Savidhan

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Japan Ka Savidhan by कुंज बिहारीलाल शर्मा - Kunj Biharilal Sharma

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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सर्वधशनिक विकास को ऐतिह/सिक पृष्ठभूमि ] [9 सन्तान माना जाता है। झपने आदि पुरुष को माँठि यहाँ के सम्राद भी स्रिहासना- खड होते समय रत्न, खज्भ ओर दर्षष घारण करते हैं। नृतन संविधान लागू होने त्क ये देवपुत्र माने जाते थे जापान के सर्वेधानिक इतिहास को चार भागों में विभक्त किया जाता है। १ आधदियुग (प्रारम्म से लेकर ११८५ ई० तक), २ सामन्तश्ाही युग (११८५ से १८६७ ई० तक), ३ भेइजी युग (१८६७ से १९४६ ई० तक) दया ४ झ्ाधुनिक दुग (१९४६ से झ्राज तक) १. आदियुप (प्रारभ्मिकं कात से ११८५ तके} प्रारम्म से लेकर सातवी शताब्दी तक जापान झनेक छोटे-छोटे राज्यौ मे विभक्त था। दन राज्यो पर कवीले एव प्रजातिया राज्य करतीयी। समी राज्यो के निवासी समान देवी देवताश्ो की पुजा कस्ते थे सौर एक ही राजा की आधीनता मे रहते थे | इन सभी राज्यों मे यमतो का राज्य अधिक शक्तिशाली था। श्रत समी राजा उसको अपना सम्राट मानते थे । यमतो के राजवश मे जिम्मू तेतो हुआ, जिसे जापान का प्रथम सम्राट कहा जाता है। वालान्तर मे इस वश के राजाशो की शक्ति भ्रधिक बढ़ गई प्रोर राज्यक्त्ता केन्द्रीकृत हो गई। प्रव प्रमुख राजकर्मचारी मी केन्द्र द्वारा नियुक्त किये जाने लगे। छोदे-छोटे राज्यो के राजा सम्राट के सामने सामन्तो की स्थितिमे केामबरतेये। पाचदो शताब्दी के भ्रारम्मस्ते चीनी सभ्यता श्रौर सस्क्ृतिका जापानी राज्यो प्र प्रमावे पडने लप । जापानियो की यह्‌ विशेषता रही है कि वे प्रपते से भ्रधिक उन्नत सम्यता, सस्कृति तथा ज्ञान विज्ञान वो दूसरो से सीखकर प्रात्मसात कर लेते है। चीनी स्म्यत्ा से प्रमावित होकर तत्कालीन प्भिमाबक [সিম হাঁতীয় (90০6০18) ने जापाव को एक शक्तिशादी राष्ट्र बनाने वी हृत्टि से सन ६०४ ई० मे सन्ह्‌ घाराओ का लिखित सविधान तथा चीनी पज्चाज्लू देश मे प्रचलित क्या । लिखित संविधान की ओर जापान का यह पहला कदम था। इस सविधान पर बुद्ध ध्मं झर चोबवो केन्द्रीक्गषत नोकरघ्चाही प्रथा का बडा प्रभाव था । सप्रारक्ी सहापताके त्ये प्रकार प्रतियोगिता के प्राधारे (0१९11१९ 2518) पर कमंचारी नियुक्त करने लगी । भूमि का स्वामित्द सआट में निहित कर दिपा गया, प्रौर उसे द्पको मे उनक्ते परिवार के सदस्या की सख्या के प्रनुप्तार विमक्त कर दिया गया। यह भी विश्चित हुआ कि समान वितरण की दृष्टि से झूमि को कुछ समय बाद पुन बाटा जाय। कृषको ना यहू दासित्व निश्चित किया गया कि थे सन्नाट रो मजदूरी, सैनिक सहायता, अ्रथवा नगद घत--किसी मो रूप में कर दें ।३ इस प्रकार सम्राट की घाफ्ति बहुत प्रधिक बढ़ गई तथा 3. {6119 - 1छठ, 93265 136, 137.




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