भारतीय शासन एवं राजनीति | Bhartiya Shasan Evam Rajniti

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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भारतीय राजनीति के अध्ययन के विभिन्‍न टॉष्टिकोण थे सहायता मिलती है । इनसे पता लगता है कि भारत मे घार्मिक आधार पर भी दलों का निर्माण हुआ है तथा चुनावों में समर्थन और मत प्राप्त करने में भी धर्म का सहारा लिया जाता है । इस प्रकार का प्रभाव देहात के स्तर पर अधिक देखने को मिलता है । ुनावो में जाति सम्पत्ति व्यक्तिगत प्रभाव और क्षेत्नरीयता की भुमिका का स्पष्टीकरण भी इन अध्ययनों से होता है । यह भी पता लगता है कि भारत की वर्ग सरचना ने भी खुनावो कों किस प्रकार प्रभावित किया है । भारत मे जिनके पास धन है वे घुनावो मे बाजी मार ले जाते है तथा मध्य वर्ग और विम्न वर्ग मुंकदर्शक बना खडा रहता है । 6 भारतीय राजनीति के अध्ययन का राजनीतिक दिकास दृष्टिकोण 90/71091 8 080 ० फिट. अधितेए 0 कातं8ा और अफ्रीका के नवोदित राज्यों में होने वाले उलट-फेर और परिवतंन को समझने के लिए राजनीतिक विकास का सप्रत्यय विकसित किया गया । राजनीतिक विकास का दृष्टिकोण इतना व्यापक बनाया गया कि वह राजनीतिक सस्थाओ और सरचनाओ के विश्लेषण के अलावा सामाजिक आधिक सांस्कृतिक क्षेत्र की परिस्थितिकीय शक्तियों को भी विश्लेषण में विशेष रूप से सम्मिलित कर सकें । राजनीतिक विकास राजनीतिक संस्थाओ का विभिन्‍नीकरण और विशेषीकरण तथा सज- नीतिक सस्कृति का ऐसा बढ़ता हुआ लोकिकीकरण है जिससे जनता मे समानता और राजनीतिक व्यवस्था मे कार्यक्षमता तथा उसकी उप-व्यवस्थाओ की स्वायत्तता बढ जाय 1 राजनीतिक विकास के अथं को लेकर विचारको मे मतभेद बना हुआ है । उदाहरण के लिए स्पटें एमसेन लिपसेट कोलमंन और कटराइट ने राजनीतिक विकास को आिक विकास की राजनीतिक पुर्वश्त के रूप में समझने का प्रयास किया है । जबकि रोस्टोव जैसे अ्थशास्त्री ने इसको औद्योगिक सभाजो की विशेष राजनीति बताया है। गुन्नार मिडेल और लरनर जैसे समाजशास्त्रियो ने राजनीतिक विकास को राजनीतिक आधुनिकीकरण का पर्याय बताया है । बिडर इसको राष्ट्रीय राज्य का प्रचालक या सघटक मानता है । रिग्स ने इसकी व्याण्या प्रशास- कीय एव काशूनी विकास के आधार पर की है । डायच और फाल्से ने इसको जनसचारण और जनसहभागिता माना है । आमण्ड और कोलरमंन राजनीतिक विकास को लोकतन्त्र का कहते है । ब्लैक तथा कोनें होजर ने राजनीतिक विकास को सामाजिक परिवर्तन को वहुदिशा युक्त प्रक्रिया के एक पहलू के रूप में विवेचित किया है । भारत जैसे नवस्वतन्त्र राष्ट्र के राजनीतिक विकास का अर्थ यह होता है कि एक प्राचीन देश अपनी पुरानी परम्परा और विविधता को वनाये रखते हुए आधुनिक युग की सबसे अच्छी बातो को ग्रहण करने की कोशिश करता है। भारत में राजनीति मुख्यत. देश की एकता को बनाये रखने की राजनीति है। यह स्वीकारा जाता है कि देश के विकास का काम जरूरी है मगर देश की एकता से ज्यादा जरूरी नहीं । किसी भी परिवर्तन को इस दृष्टि से देखा जाता है कि उससे देश की एकता को बल मिलेगा या नहीं । नतीजा यह है कि विकास के काम मे जल्द- वाजी या व्यग्रता नही की जाती भर हर काम मे अनिश्चित असमजस और जरूरत से ज्यादा समझौते की प्रवृत्ति दिखायी पड़ती है । भारत के विकास का अनुरापन इस यात में है कि आर्थिक और सामाजिक परिवतंन और विकास की महत्वपूर्ण बातें ऊपर से तय की जाने पर भी लोकतन्त्रीय और स्वतन्त्र राजनीतिक व्यवस्था के अन्तगंत कार्यास्वित की जाती हैं । इसका अथे यह है कि कुछ विचारों के प्रभाव से जो राजनीतिक परिवतंत हो रहे हैं उनमे ऐसे तत्वों का हाथ है जैसे राजनीतिक स्पर्दा में तीव्रता शक्ति और प्रभाव का विस्तार तथा राजनीति प्रक्रिया मे बहुजन वर्ग भाग लेगा । इसमें लोगो को डण्डे के जोर पर इच्छित दिशा में हाँकने की कोशिश नही की जाती वरन




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