भागवत पुराण में प्रतिबिंबित भारतीय समाज एवं धर्म | Bhagwat Puran Me Pratibimbit Bhartiya Samaj Evam Dharm

Bhagwat Puran Me Pratibimbit Bhartiya Samaj Evam Dharm by शीतल त्रिपाठी - Sheetal Tripathi

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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जा सकता है | सागर मन्थन में निकले विष को भगवान शिव ने पान किया उसे कंठ में घारण किया, चन्द्रमा को माथे में धारण किया तथा कंठ में सर्पों को स्थान दिया अर्थात देवता वही है जो विष का वरण करे और उसे अमृत में परिणित कर दे। पुराणों में स्वर्ग और नरक का वर्णन भी उपलब्ध होता है, पाप और अपराध करने वाला व्यक्ति नरक गामी होता है और अच्छा कर्म करने वाला व्यक्ति स्वर्ग को प्राप्त करता है ।* पुराणों में तदयुगीन विज्ञान का वर्णन भी अति विस्तार से किया गया है, इसमें शून्य से लेकर बड़ी संख्या तक के अंक तथा गणित के सिद्धान्त वर्णित है| इसमें आयुर्वेद युद्ध पद्धिति तथा विविध वस्तुओं के निमाण सम्बन्धी विज्ञान का वर्णन है | इन पुराणों मे शास्त्र, इतिहास और प्रचलित संस्कृति का समन्वय है | पुराणों के _ सृजन में मनोविज्ञान और अनुभव का सहारा लिया गया है, जिसके कारण पुराण अति विस्तृत एवं व्याख्या युक्त हो गये | आचार्य बल्देव उपाध्याय के मतानुसार पुराणों को विषय वस्तु की द्रष्टि से तीन भागों में विभक्त किया जा सकता है- . (1) वैदिक साहित्य की पुष्टि | (2) वेदों की भाषा जो कठिन थी, उस भाषा का सरलीकरण किया गया है ।, (3) वेदार्थ निर्णय में मुनियों का परस्पर विरोध | पुराणों की भाषा सरल है तथा पुराणों में आख्यानो के माध्यम से विषय वस्तु . को समझाने का प्रयत्न किया गया है, पुराण जनता के हृदय को अपनी ओर आकर्षित करते हैं पुराण के सन्दर्भ में नारदीय पुराण का यह श्लोक दृष्टव्य है- वेदार्धादिधिकं सन्ये पुराणार्थ वरानने / . . बेदाः प्रतिष्ठिताःसर्वे पुराणे नाव संशयः / /* पुराणों की संरचना विविध दृष्टिकॉणों को रखकर की गयी है तथा महापुराणों . की संख्या अठारह है यह निम्नलिखित है- मयुक्त (1) मत्स्य और (2) मार्कण्डेय, भकारादि दो (3) भविष्य और (4) भागवत, ब्र युक्त तीन पुराण (5) ब्रह्माण्ड (6) गम (4)




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