सत्यकथा - आदानक | Satyakatha - Adanak

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( ` २४६ २४७ ४१८-विक्रमकी जीव-दया. *'' ४१९-सवेस्वदान [हषंवधनकी उदारता] (रा० श्री०) ४२०-बेलोंकी चोट सतपर ˆ ( दि० दु° ) ˆ ३४८ ४२१-पत-दर्शनका प्रभाव ` ( रा० ०) ˆ** ३४९ ४२२-रामूकी तीथयात्रा ** ३४९ ४२३-रंगनादकी पितृभक्ति ' *“(जा० श० ) ** ३५० ४२४--कतशता “ (सु० हिं० ) **' ३५१ ४२५-गुरु-निष्ठा * (रा० श्री० ) **' ३५१ ४२६-स्वामी श्रीदयानन्दजी सरस्॒तीके जीवनकी कुछ कथाएँ ( श्रीवाबूरामजी गुप्त ) * ३५१ ४२७-मौन व्याख्यान ( रा० श्री० ) **' ३५३ ४२८-प दल यात्रा “(9 9 ) ˆ ३५३ ४२९-भाव सच्चा होना चाहिये ˆ 9 3 ) ˆ“* २५४ ४३०-जीवनचरित कैसे लिखना चाहिये (सु० तिं० ) ३५४ ४३ १-दयाछ॒ता “*( 9 33 ) २५५ ४३२-संकटमे भी चित्तशान्ति * गो०न० बै०) ३५५ ४३ ३-विद्या-व्यासड्की सुचि वि ( 93 33 ) ३५५ ४२४-करागज-पनन देखना था, रमणी नहीं (+ ॐ ) ३५६ ४३५-विपत्तिमें भी विनोद “(9 9 ) ३५६ ` ३५६ ४३६५६-स्थितप्रशता । ˆ“ (गो० न° बे०) ३५७ ४२७-दुःखेष्वनुद्धि्ममनाः ४२८-सत्याचरण ' (सु० বি০) ३५७ ४२९-जिहाको वदामे रखना चादिये ( 9 9 ) ३५७ ४४०-अद्धत शान्तिप्रियता ˆ ( जा० श० ) ३५८ ४४१-हस्त-लेखका मूल्य * (5১১) २५९ ४४२-काले सेका भी खागत ˆˆ* (3 ৮) ३५९ ४४३-कर्मण्यवाधिकारस्ते [महात्मा गाँधी और लेनिन] ( ५० श्रीबनारसीदासजी चतुबेदी ) * ३६० ४४४-पूरे सालभर आम नहीं खाये ( जा० হা) ३६१ ४४५-मारे शरमके चुप “(9 ५) ३५९२ ४४६-भद्भुत क्षमा (9 ॐ ) ३६२ ४४७-सहनशील्ता ' ( सु० तिं० ) २६४ ४४८-रामचरितमानसके दोष ''** ( जा० श० ) २६४ ४४९-मै खून नहीं पी सकता *'* ( छु० सिं० ) ३६४ ४५०-चिन्ताका कारण *' ( जा०दा० ) ३६५ ४५१-विलक्षण संकोच (५9 3 ) र६६ ४५२ -भगवत्‌-विस्मृतिका पश्चात्ताप ( 955 2 ) ३६६ ४५२-गोरक्षके लिये स्व॒राज्य भी त्याज्य (59- 9 )*** ३६६ ४५४-अन्यायका परिमार्जन ** ३६७ ४५५-नल-राम-युधिष्ठिर पूजनीय है “* ३६७ ४५६-संत-सेवा ( रा० श्री० ) *' २६८ ४५७-आददर्श सहनशीलता 65 ১১০ ३६८ তব ९ ) ४४५८-विछक्षण क्षमा ° ००५ ४५९-परट-धरर्मे भगवान्‌ (रा० श्री० ) ** ३ ४६०-में नहीं मारता तो मुझ्ते कोई क्‍यों मारेगा ( कु० राधा ) २७० ४६१-प्रतादका स्वाद *' ३७१ ४६२-भगवन्नाममय जीवन ' (सु० सिं०) * ३७१ ४६ ३-परोपकारके लिये अपना मात-दान( ?? १? ) ** ३७२ ४६४-गुप्ताज्ञ फॉली ( जा० श० ) ˆ ३७२ ४६५- विचित्र पश्च | ˆ *“ ३७२ ४६६-तुटसीका चमत्कार *** ইও২ ४६७-भगवानके भरोसे उद्योग कर्तव्य है [ भिखारिणीका अक्षय भिक्षापात्र ] ३७३ ४६८-अहिंताका चमत्कार ( रा० श्री० ) **' ३७४ ४६९-दथ-परिवतेन [ अगुलिमाटका परिवर्तन (বাণ লও ) ** ২৩৭ ४७०-इन्द्रिय-लयम [ नतेकाका अनुताप ] ३७६ ४७१-निथ क्ष न्याय [ रानीको दण्ड ] *** ३७७ ४७२-अर्दिखाकी दि्ापर विजय | दे-वेभवय) घिकार है [ भरत ओर बराह ] ˆ ˆ“ ¦ ४७४-शू लीसे सर्ण॑सिंहासन हे ४७५-अडिग निश्चय--सफलताकी कर्ज ४७६-सवंत्र परम पिता ( श्रीलोकनाथप्रसादजी ढॉदनिया ) न ४७७-संन्‍्याती और ब्राह्मणका धनसे क्‍या सग्यन्ध ! ( भक्त श्रीरामशरणदातर्जी ) টা ४७८-सवपके নাণন্ধা লদগা সামিল (2১১) ४७९-भगवत्सेवक अजेय है [ महावीर दनमानजी ] ४८०-दीनेके प्रति आत्मीयता ( प्रेपक--भी गज गोपालदातजी अग्रवाल ) । ४८१-संस्कृत-दिंदीको छोड़कर अन्य भाषाका कोई भी शब्द न बोलनेका नियम ( भक्त श्रीरामशरणदासजी ) ˆ ६८६ ४८२-गो-ब्राह्मण-भक्ति [ खर्गीय धामिक नरश परम भक्त महाराज प्रतापतिंदजी काश्मीरके जोवनी घटनाएँ | ( 39 33 ) ** ३८७ ४८३-आजादकी अद्भुत नितेन्द्रिपता( ४» ) ** ६ ४८४-सिरगरेट आपकी तो उसका धुओं হিলরা! ( सख्वामीजी भरीग्रेमपुरीजी ) ` * ३८८ ४८५-कर सौ तलवार गदौ जगदा *** ई ८९ ४८६-जीव मक्ष क्से रोता ই € श्पिगेश्वरर त्रिपाठी ची° 2০) -** ३९० ४८७-भमगवत्मेम रा भ्म) ३९२




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