हवा के घोड़े | Hawa Ke Ghode
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3.15 MB
कुल पष्ठ :
126
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
परिचय :-
जन्म : 11 मई 1912, समराला (पंजाब)
भाषा : उर्दू
विधाएँ : कहानी, फिल्म और रेडियो पटकथा, पत्रकारिता, संस्मरण
मुख्य कृतियाँ
कहानी संग्रह : आतिशपारे; मंटो के अफसाने; धुआँ; अफसाने और ड्रामे; लज्जत-ए-संग; सियाह हाशिए; बादशाहत का खात्मा; खाली बोतलें; लाउडस्पीकर; ठंडा गोश्त; सड़क के किनारे; याजिद; पर्दे के पीछे; बगैर उन्वान के; बगैर इजाजत; बुरके; शिकारी औरतें; सरकंडों के पीछे; शैतान; रत्ती, माशा, तोला; काली सलवार; मंटो की बेहतरीन कहानियाँ
संस्मरण : मीना बाजार
निधन : 18 जनवरी 1955, लाहौर (पाकिस्तान)
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)भी कोसता कि व्यथें में उसने दूसरों को गाियाँ दीं । यदि संसार के सभी प्राणी एक दूसरे से प्यार करने लग जायें तो इसमें मेरे बाबा का बया बिगड़ता है ? मु तो केवल श्रपने काम से काम है । यदि में किसी के प्यार में स्वयं को न बाँध सका तो इसमें किसी का क्या दोष £ पकिप्ठी हद तक ठीक है कि मैं इस योग्य ही नहीं हूं । कया पत्ता है कि बेवकूफ श्रौर बेश्रक्ल होना ही प्यार करने वाले के लिये जरूरी है । वह स्वयं से ऐसे-ऐसे श्रइन करता जेसे वह कहीं इन्टरव्यू पर गया हुमा हो । एक दिन सोचता-सोचवता वह इस निप्कर्श पर पहुँचा कि प्यार एक-दम नहीं होता । वह झूठे हैं जो कहते हैं प्यार एक-दम ही. जाता है । यदि ऐसा होता तो मालूम है कि उसके हृदय में बहुत पहले से पकिसी के साथ प्यार हो गया होता । बहुत सी लड़कियाँ उसकी निंगाहों से श्रब तक गुजर चुकी थीं । यदि एक-दम प्रेम हो सकता तो दूनमें से किसी एक के साथ प्यार की दुनिया बसा लेता । किसी लड़को को एक या दो बार देख लेने से भी प्यार हो जाया करता है यह वह न जान सका ॥ कुछ दिन पहले उसके मित्र ने कहा कि कम्पनी-बाग़ में श्रांज मैंने एक लडकी को देखा श्रीर एक ही नजर में जख्मी कर दिया । उसका सन दुःख से चिल्ला उठता श्रौर इस प्रकार के शब्द उसको उर्टे दीख पड़ते । एक ही नज़र में उसने मुझे जख्मी कर दिया लाहौल-बि-लेलाहें. .. चिचासें को किस भद्दे ढंग से व्यक्त क्रिया गया है 1 जब बह इस प्रकार के भूठे आर थे क्लास के दाब्दों को सुनता तो उसे ऐसा श्रनुभव होता कि उसके कानों में कोई पिंचला छुआ डाल रहा हो । परन्तु यह उल्टे दिमाश श्र लैंगड़े मजाक के इस्सान उससे अधिक हुवा के घोड़े | रूप
User Reviews
No Reviews | Add Yours...