चंद्रगुप्त विक्रमादित्य | Chandra Gupt Vikrmaditay

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Chandra Gupt Vikrmaditay by गंगाप्रसाद मेहता : Gangaprasad : Mehata

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about गंगाप्रसाद मेहता : Gangaprasad : Mehata

Add Infomation About: Gangaprasad : Mehata

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
(९ ) दुधुवुवाजिन: स्कन्घँ छपकुकुमकेसरान्‌ ॥ तत्र.. हुणावरोधानां.. भर्तूषु व्यक्तविक्रमम्‌ । काम्बोजा: समरे सोकुँ तस्य वीयेस नीइवरा: ॥ [ रखु, ४, ६०-६९ 1] कालिदास के पूर्वाद्धत विजय-वृत्तांत में उस के समय की घटनाथ्यों की प्रतिध्वनि स्पष्ट प्रतीत होती है । 'पारसीक' 'और “वाह्लीक' में राज्य करने वाले शक “शाददंशाह” जुदे-जुदे न थे, एक ही थे । उस के उत्तर में हू लोग आक्रमण कर इ० सन की चौथी सदी के अंतिम चरण में “वंचु” ( ्राक्सस ) नदी के किनारे आ बसे थे । भारत के सीमाम्रांतों की ऐसी ही ऐतिहासिक परिस्थिति में दिल्ली के लॉोह-स्तंभ के राजा चंद्र ने सिंघु के सात मुखों को लॉँच कर समर में वाह्िकों को जीता था--'तीर्त्वा सप्तमुखानि येन समरे सिंधोजिता वाह्धिका: ।' पुरातत्वज्ञ जोन एलन की व्याख्यानुसार सिंघु के सात मुह्दानों को पार कर राजा चंद्र बल्ख ( वाह्िक ) तक नहीं पहुँच सका होगा किंतु उस ने कद्दीं बलोचिस्तान के ही 'ासपास भारत पर हमले करने वाले किन्द्दीं विदेशियों को परास्त किया होगा । परंतु एलन महाशय ने उक्त व्याख्या करते हुए यह शंका नहीं उठाई कि सिंघु के सात ही मुद्दाने क्‍यों कहे गए, 'झधिक क्यों नहीं ? पमुख” शब्द का प्रयोग संस्कृत में द्वार के 'अथे में होता है--'मुखं तु बदने मुख्यारंभे द्वाराभ्युपाययोरिति यादव: । सिंघु के सात द्वारों को--उद्रमों को--लाँघ कर चंद्र बल्ख तक पहुँचा था । श्रीयुत काशीप्रसाद जायसवाल का उक्त कथन युक्तिसंगत मालूम होता है। काबुल से पंजाब तक का प्रदेश प्राचीन काल में “सप्तसिंघु”--'हप्तहिंदु”--कहलाता था जिस के पश्चिम में 'बाहिक' नाम के जनपद थे । इस प्रसंग में यद्यपि में ने एलन, फ़्लीट, स्मिथ आदि विद्वानों की व्याख्या एवं मत का इस पुस्तक में अनुसरण किया है तथापि मुे यद्द सदष स्वीकृत है कि श्रीयुत जायसवाल जी की उक्त कल्पना ओर 'अर्थसंगति नितांत मोलिक और उपादेय है। संक्षेप यह है कि चंद की विजय-प्रशस्ति में जिन बातों का उल्लेख है वे सभी चंद्रगुपत




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now