भगवती आराधना | Bhagwati Aaradhna

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Bhagwati Aaradhna by कैलाशचन्द्र सिद्धान्तशास्त्री - Kailashchandra Siddhantshastri

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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विषय-सूची विषय पृष्ठ सिद्धोंको नमस्कार पूवंक आराधनाका का कथन करनेकी प्रतिज्ञा १ शास्त्रके आदिसें नमस्कार करनेका प्रयोजन २ सिद्ध शब्दके चार अर्थ |; आराधनाकी उपयोगिता ६ आराधनाका स्वरूप ७ उद्योतन, उद्यवन दिका स्वरूप ८ सक्षेपसे दो आराधना कही हैं १० संक्षेपके तीन भेद ११ दक्षंनकी भाराधना करनेपर ज्ञानको आराधना नियमसे होत्ती है ज्ञानको आराधना करनेपर दर्शैनकी आराधना भजनीय है १२ उक्त विषयमे मन्य व्याख्याकारोके मतकी समीक्षा १३ मिथ्यादृष्टि ज्ञानका भाराधक नही १७ नयका स्वरूप तथा निरपेक्षनयके निरासके लिए शुद्ध विशेषण १७ सयमका भथं चारित्र १९ संयमकी आराधना करनेपर तपकी भाराघना नियमसे, तपको भराधनामे जारिश्रकी भाराघना भजनीय १९ अन्य व्याख्याकारोकी समीक्षा २० बाह्यतपके विना भौ निर्वाणगमन २१ असंयमी सम्यर्हष्टीका मी ततप व्यथं २२ अन्य व्यास्याकारोकी समीक्षा २३ चारित्रकी आराधनामें सलकी आराधना. २४ अन्य व्याख्याकारोकी समीक्षा २६ चारित्राराधनाके साथ ज्ञान और दर्शंनकी आराधनाका अविनाभाव २७ बिषय पृष्ठ चारित्र ज्ञान गौर दर्शन एकहीरहै २९ चारित्रमे उद्योग ओर उपयोग ही तपदहै २९ चारित्रक प्रधानताको छेकर समाधान ३२ दुःख दूर करना ज्ञानका फल दे अन्य व्याख्यागोको समीक्षा ३४ निर्वाणकां सार अव्याबाध सुख ३५ समस्त प्रवचनका सार आराधना ३५ आराधनाकी महत्ताका कारण ३६ अन्त समय विराधना करनेपर संसारको दीषंता ३७ अन्य व्याख्याका रकी समीक्षा ३७ समिति, गुप्ति, दर्शन और ज्ञानके अतिचार ३८ आराघना ही सारभूत है ३९ यदि मरते समयकौ भआराघना सारभूत है तो अन्य समयमे आराधना क्यो करना, इसका समाधान ४० उदाहरण द्वारा समर्थन ४१ योग शब्दके अनेकं अर्थं ४. मिथ्यात्व आदिको जीतकर ही श्रामण्य भावनावाला आराधना करनेसे समर्थ ४५ मिथ्यात्वके भेदोका स्वरूप और उनको जीत्तनेका उपाय ४६-४७ मरणके सतरह भेद ४९, सम्यग्दृष्टि गौर संयतासंयतका बाल- पण्डितमरण ५६ सशल्यमरणके दो भेद ५६ निदानक्रे तीन भेद ५६ वसटुमरणके चार मेद ५७ कषायवश आतंमरणके चार भेद ५८




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