काल - भैरवी | Kal - Bhairavi

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
श्रेणी :
Book Image : काल - भैरवी  - Kal - Bhairavi

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about रामनिवास शर्मा - Ramnivas Sharma

Add Infomation AboutRamnivas Sharma

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
बाल भेरदी १५ उस दिन ददान बरने के दाद मै वी पूरी छुपा हो गई। दो चार टित बाद आना-जाता हाता ही रहता। वहा जाने पर घडी-दी घडी वा भातूम दी नह पडता ) धम-क्म घौ «ते होती रहती | घमन्वम के साथ खरो खोटी भी चज़ती। यदि कभी अधिक काम के वारण जाना नहीं হালা तो भरू याद करके बुला लेता । अब उससे भय नही লমলা 1 रात या दिन कभी नी जाओ या आओ वह वावाता बस ही ठेने देता । पर यह बात समझ मे नही आती कि वह कमा आदमी है ?े बह बालता है ता झकता नहां। चुप हा जाता है तो गूया ही व॒ना रहना । हा-हू भी नही वरता । पूछते पर सर हिला देता है । उसे कौन समफावे? किमी की अकद थाड़े ही निवली है जो उसे कुछ कहे । बातें करता है ता अ्रमित्त वी-मी । काई बात्त कहा वी और कोई वही वी ॥ धरती की बातें करता करटा आसमान की करन लगता है 1 कल की बातो म नाज दी बातें मिला देना हे! कौर उदकी वातं सपमना चाहैतों उसके पत्त्र एक अक्षर भी नहीं पडने का। भरू का मन आधा था पर अव्यत मधुर । उसके पास बठने के बाद उठने को दित करता ही नही |




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now