प्राचीन भारत की संस्क्रती और सभ्यता एक एतिहासिक रुपरेखा | Prachin Bharat Ki Sanskrati Aur Sabhyata Ek Aitihasik Rooprekha
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5.86 MB
कुल पष्ठ :
288
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about दामोदर धर्मानंद कोसांबी - Damodar Dharmananda Kosambi
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)भूजीपत्तिया वा यह वग भाषा प्रादेशिक इतिहास आदि के मामल मे विभकत होने पर भी समान स्वार्यों के कारण दो समूहा में एकत्र है। पूजी और कारखाने का यात्िक उत्पादन असली उद्योगपतिया पूजीपतिया के हाथा म है और खत्पादन वे वितरण पर मुख्यत उन दूकानदार निम्न-पूजीपतिया का प्रभुत्व है जो अपनी बड़ी सख्या के कारण वडे शक्तिशाली वन गये हैं । अनाज वा उत्पादन अधिकतर छाट छोटे येता मे होता है। करा ओर कारखाना म उत्पारित बस्तुआं वी कीमत का भुगतान नवद वैसा में वरना जरूरी है इसलिए क्सान को निम्त-पूजीपतिया वे एक अनिच्छुव और पिछड़े हुए पक्ष की शरण म जान मे लिए विवश होना पढ़ता है। खेती की सामान्य अतिरिवत उपज पर भी उन भाइतिया और महाजनों का कब्जा रहता है जा आमतौर पर वड पूजीपति नहीं बन पात । सबस घनी क्सिना मे और महाजना मे कोई खास अन्तर नहीं है । चाप काफी कपास तम्बाकू पटसन काजू मूगफली गरना नारिमल आदि वी नकदी पदावार भन्तर्राप्ट्रीय बाजार अथवा कारखाना मे होनवाल उत्पादन से जुड़ी हुई है। कभी-वभी आधुनिक पूजीपति भी बढे बडे भूखण्डा मे मशीना की सहायता से इन चीजों का उत्पातत करते हैं । इनम लगायी जान- बाली पूजी से जो अक्सर विदेशी होती है इन वस्नुआ का मूल्य निधारित होता है नौर मुस्य लाभाश भी वही पूजीपति हृथिया लेते हैं। दूसरी ओर द्निक जावश्यकता की बहुत सी चीजें मुख्यत भाड वतन आर बस्तर आज भी दस्तकारी के तरीकों में तयार होती हैं और कारयाना में हानिवाले उत्पादन के साथ प्रतिस्पर्धा हीन पर भी ये उद्योग जीवित हैं । देश की राजनी तिव परिस्थितिया पर पूजीपति वग वे इन दो समुलाया का पूण प्रभुत्व है और पेशवर वकील आदि तथा बाबू लोगो का वग इहें विघान-मण्डला और शासन-तत्र के साथ जोड़ने का काम बरता है । यह ध्यान देने की बात है कि भारत मे ऐनिहासिक कारणा से सरकार ही एकमात्र सबसे बडी व्यवसायी-ठंकेदार भी है। एक बड़े बूजीपति जसी इसकी सम्पत्ति भारत के सारे स्ववत्न पूजीपतिया की सम्पत्ति के बरावर है यद्यपि यह खास प्रकार के विनियोगा मे लगी हुई है । रेलें हवाई सेवाएं डाक-तार रेडियो और टेलीफोन कुछ बकें जीवन वीमा और सुरक्षा उद्योग नो पूरी तरहे राय के हाथ में है ही कुछ हृद तक बिजली और कोयते का उत्पादन भी राय द्वारा हो होता हे तल के कुआ पर राज्य का अधिकार है। बड़ बढ का हा नली विदेशी कम्पनियों के हाथी मे है परतु सरवारी मय कारखाने जटती के कि उत्पादन कररे लग जायये । रक न्न म होता था परतु भव . सवार न भी बड़े पमान पर लोहे और इस्पात का उत्पादन शुरू वर दिया है। ऐतिहासिक परिप्रेक्य / ३
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