बात बोलोगी | Baat Bologi
श्रेणी : काव्य / Poetry
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
671 KB
कुल पष्ठ :
130
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)दुःख नहीं मिटा
दुःख नहीं मिटा ।
घिरा और घुमड़ा आकाश ।
फिर बरसा दिन भर। खुला नहीं।
बहीं हवाएँ भी बुंदियाँ भर-भर।
झोंके भी हृदय उड़ाते हुए चले ।
पर खुला नहीं राग ।
सफल नही हुआ, बाह,
सन का अनुवाद !
भूमे वन के वन हर-हर कर । नद बहे ।
घन घ्रे । लहरे मन-उद्यान ।
सीझ गये पत्थर ।
--फैंठिन किन्तु कवि-उर-प्रस्तर था
जो उष्ण रहा तपता ।
कौन वह सावन की घड़ी
होगी,--जब मन के झूलों पर
फिर बरखा की पेंगें मल्हार
गायेंगी'*“मन के झूलों पर फिर
बरखा की पेंगें मल्हार ?
৮৫ ><
आह् आज प्लावन मेँ सखा यह् तृण !
तुझे चुकाना है, को मेघराज,
१५
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