राजस्थानी साहित्य संग्रह - भाग 2 | Rajasthani Sahitya-sangrah Bhag-ii
श्रेणी : धार्मिक / Religious
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
134
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about आचार्य जिनविजय मुनि - Achary Jinvijay Muni
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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क प्रतिके श्रतमें लिखे गये निम्न कवित्तादिसे भी बहादुरसहने चरिप्रकौ श्रनेक
विशेषताएँ प्रकट होती ह-
फवित्त- दुरजनसौं जीत, श्रसजनसीं नीत,
गुरदयनत्तों श्रीत, ताहि सुजस दथानी का ।
धमनिवा साप्त अत्मनि গা
मु दसि! ्राधिक्र पोच सावधानी) ।
सगरो मूर, दारिदशं दुर,
सुभ गुयाओं पुर, मान मित्र श्रभिमानोका ।
हमप्रमभुप, बहादुर नरेस बली
प्याब तेरा भ्रमौ ज्यों नवरो दूध पानीवो ॥ १
गेर मजबूतीहुआ रूप रापुतीहका
थाटक संमुठ सन चाहम मुनीनक्रो ।
ল্নিকী কহযো বাণ रूपरो रिया
भूप परतिय तजिया भ्रम पालक दुनतित्रो ।
थभ पावसाहीबो प्िपाहीको पिश्शनहार
श्रमी मते काहू माकन सुनो तवो)
हाय शवे ग्रुनहुताा छूट गो है दपा तर
उट गो वहादुरेम गाहुक गुनीनको ॥ [২]
গুল অল নাঈ গাখ। ভুসলনাী হার উহ
অত অন দু জঙ্গী राजत निनेषफो )
খন নীল ঘা লন उधाप्यो पाप श्रवनीि,
दुष्टनकों मार के उतारधां भार ससवा |
भारी भाग बारे भूप चाहत है भोर जाह
সাক্ষী पालक प्र नांसर कलसबा १
बाज मिद्ध मांहि जसे लीजिय गतप्त नाम
जुदध काज भाम व्यौ बहादुर नरेसवा | १[३]
गोते इड पानरो मेवास दिली श्रागरो म्वाहगा इडे
आम रोकी गिग्गा विहु राहरो अतक।
प्राटीपणों सोधादार सताराजधनू झ्राप
दिंदुवामँ माटीपणों राजानरों हेक।॥ १
छंड पाच पाटा जगा पस दै द्रूटिया घनी
झाछा भाड़ दस नेस लूटिया श्रनूप 1
कहे सेनापती मै पहादरेस कीघा बेई
भू लाक भनमी भा वहादुरेस भूप ॥ २
सोपारा अग्राजा माहे सजिया न योट वितां
मह'वचीर सार मांहे भगीया चमाय ।
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