हिंदी कहानिया | Hindi Kahaniya
श्रेणी : कहानियाँ / Stories
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
8.49 MB
कुल पष्ठ :
266
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)भूमिका _. ७
तर चेतना है। पाश्चात्य के प्रभाव से हमारे दृष्टिकोण में
माय परिवर्तन उपस्थित दो ्रावा | त्राधुमिक शिया की दो प्रमुख
रिशेषताएँ हैं. -यद्द और चैसानिर है । यह सन्देद का
पोपण करती है झ्लौर की विरोधी है; प्रति को भौतिक
पर करती है ही अमोतिक अथवा शतिमौतिक उत्ताओं की
श्रविश्वाछी है; व्यक्तिगत रवाधघीनता की घोषणा करती है और रूद्धियों,
तथा ऑचविश्वासों का विरोध करती है । इस के
प्रभाव से दें भूत, प्रेत, जिन्न, देव, उढ़न-खंटोला, उड़ मेवाल।
इत्यादि झधवा श्रतिभोतिक अप्राकत अथवा
झविधाक लि आमचुपिक अधवा श्रविमानुषिक सचाशं में द्षविशवास
द्दोने थे गन कहानियों में इनका उपयोग असहा जान पड़ने
शा इस प्रकार श्राधघनिक काल में कहानी, की सुष्टि करने में केवल
श्राकस्मिक घटनाओं (00८65 और सवोगों
का ही सहारा लिया जा सकता है। दस शर्म
श्रौर विश्वस्मरन[थ शर्मा कौशिक की प्रारम्भिक कद्दानियों में यही
भी [| कहानी लेखक को कथानक जुनने और उसका कार्य कम
सजाने में झन अधिक सतक रहना पढ़ता था, पर्थोंफि अ भौतिक तथा
अधिभौतिक सत्ताद्ों के लोप से कथा की मनोरक्षकता का सारा भार
अकस्मिक घटनाओं और संधोगों के कौशलपूर्ण प्रयोग पर ही आते
पढ़ा | ठीक इसी बीच सारतवर्ष सें मनोविशान के अध्ययन की श्र
विद्वानों की श्मिति बढ़ने लगी । लोगों को यह जान कर बढ़ा
श्राथ्र्य हुआ कि देश्लने और सुनने जेंस छाघारण कार्यों में भी ऑखों
दर कानों की मस्तिष्क का ही अधिक सहत्त्वपू्ण कार्य होता है |
इस अकेर मे सानव मस्तिष्क की नयापक महा का बोध छुआ और
यद्द द्नुमव होने लगा कि चंटनाझों तथा संयोग की अपेद्या
जीषन में मनुष्य के मस्विष्क और सन का कही प्रभाव और
२
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