आत्म चिन्तन | Aatm Chintan
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
111
श्रेणी :
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लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :
चक्रवर्ती राजगोपालाचर्या - Chkravarti Rajgopalacharya
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मार्कस ऑरेलियस - Marcus Aurelius
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)२
पुरुष माने जाते हैं, कहा. है कि मार्कस ऑरेलियस
की इस पुस्तक से कई ने उद्धार पाया है। इस
आत्मचिन्तन से हमें राग-देष-रहित सच्ची तपरचर्या का
तथा विवेकयुक्त गाहेस्थ्य-जीवृन का उपदेश मिलता
है। सुख और दुःख मनुष्य के अपने ही हाथों में हैं ।
सुख-दुःख की अवस्था आन्तरिक है, वाह्य नहीं | इसी
को मार्कस ने कई प्रकार से समझाया हैं। साथ
जगत् एक प्राणवान व्यक्ति हैँ, जिसके तुम अंगमात्र
हो । जगत् का हितचिन्तन तुम्हारा स्वाभाविक धर्म
हे । विवेकपूवेक आचरण करनादही तुम्हारा धर्म
ओर उसीमें तुम्हारा कल्याण हुँ। व्यक्ति के लिए
कोई घटना दुःखरूप होने पर भी समष्टि के लिए
लाभदायक ही होती है । इसलिए चाहे कंसे ही
कंष्ट का सामना करना पड़े, चित्त को स्थिर रखना
चाहिए । इन वातों को विस्तार से समझाकर
मार्कस अपने मन को धीरज और समाधान देते हैं ।
मन की अविचलल अवस्था को ही उन्होंने इंश्वरभक्ति
ओर आनन्द कठा हं । साधारण मनुष्य इस आनन्द
को साहस के साथ के प्राप्त करे, इसका मार्ग
राजयोगी मारकंस ने दिखाया हैं ।
चक्रवर्ती राजगोगालाचार्य
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