सर्दी जुकाम खांसी | Sardi Jukam Khansi

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Sardi Jukam Khansi by जे. के. शर्मा - J. K. Sharma

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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5 ~ ७ - कठिन | इस पुस्तिकाकों पढ़ते चलिए, भरीरको इस वुराईसे छुटकारा दिलानेकी विधि आपको मालूम हो जायगी । मजेदार वात तो यह ই कि सदा बने रहतेवाले जुकामसे मुक्ति पानेके लिए रोगीको अपने गरीरको इतना निर्मेछ बनाना होता है कि फिर कोई भी रोग उसके पास न फठक सके । और कीटाणु ! ये बेचारे तो हर जगह रहते हूँ, पर उनसे सर्दी- जुकाम नही होता । रोगी रहना एक वुरी आदत ह, कोड मजवृूरी नही ह । सर्दी-जुकामसे छुटकारा पाना कितना आसान हैं ओर सो भी नई उम्रमे, यह वतानेके लिए में आपको एक युवककी कहानी सुनाता हूं। उसकी उम्म्र इककीस वर्षकी थी ओर जन्मकालसे ही उसे जुकाम चला आ रहा था। जुकाम: उसे वना ही रहता और जाड़ोंमें जोरकी सर्दी हो जाती जितना भी पसा वह खचं कर सकता था, उसने जुकामकी दवाएं खरीदने, विगेपक्ञोसे इखाज कराने तथा नाकका जापरेगन करानेमे खच करिया । जव भी उसके पास कर पैसे इकट्‌ठे हो जाते थे, नाकके डाक्टर किसी-न-किसी रोगके नामपर उसकी नाकमें आपरेशन करनेकी आवश्यकताका अनुभव करने लगते । हवा-पानी बदलते रहने और डाक्टरोंकों दिखानें और दवा लेते रहनेपर भी युवककी दणा विगड़ती ही गई। एक भी अचूक औषध॑का निग्ञाना उसके रोगपर न बेंठा। अंतमे यह वातत उसके अंत.करणमे स्फुरित हुई कि मनुप्य- ন্‌




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