स्वर्ण पथ | Swarn Path
श्रेणी : शिक्षा / Education
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
8 MB
कुल पष्ठ :
208
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)१२ स्वण-पथ ।
रूपी तूफानमे निराद होकर रोने बेठ जायें | कोई शक्ति आपकी दुदंशा
नहीं कर सकती । ईश्वरके मह्दान् पुत्रकी कोई उसके उच्च आशबसे कदापि
नहीं हटा सकता । कोई अभद्र प्रसड़ आपके आन््तरिक प्रदेशको ইতি
नही कर सकता । आपको अस्तव्यस्त करनेकी शक्ति प्रतिकूलतामे नही है |
आपके अंदर जो ईश्वरीय दिव्य तत्त्व निहित है; उसे प्रकट कीजिये ।
जो सद्भावनाएँ अंदरसे प्रकारामे अनिको छटपटा रही है उनपर
कुठाराघात न करं । उन्हे बेरोक-टोक प्रकाशमे आने दे । सद्वृत्तियोंके
प्रकाशित होनेपर ही आपकी महानतामे अभिवृद्धि हो सकती है। यही
आपकी देदी सम्पदा है। इसके बछूपर आप कल्याणमार्गके अनुगामी हो
सकते हैं । इसीसे आप विश्वविजेता बन सकते हैं । दैवीषम्पदा क्रोध,
मत्सर द्वेष) स्वार्थकी कुत्सित चइत्तियोसे आपको ऊँचा उठाये रख सकती
है। ईंश्वसने आपको ऐसी शक्ति दी है कि उससे दुर्विचारको सररूतासे
दवाया जा सकता है |
तनिक उत्त व्यक्तिको दशाको कल्पना कीजिये; जिसके सनमे यह
विचार घुस गया है कि “मै दीन-हीन हूँ, कमनसौब और गुलाम हैँ |? वह
स्वयं अपनी दृष्टिमे हेय है | जेसा दूसरे कह देते है; वह उसीको सत्य मानकर
चलता है। संसारके स्वार्थी मनुष्य श्रान्ति और होनत्वके दीन-हीन विचार
ला-छाकर उसके अन्तःकरणमे प्रविष्ट करा देते हैं और वह बेबसी दिखाकर
उन्हीके अनुसार कार्य करने छगता है । दूसरेकी धारणाएँ ही उसकी
स्थायी इत्ति वन जाती हँ । विचारोकी यह परवशता संसारके असंख्य
व्यक्तियोको दुःखदं अवखामें गिरये हए है ।
बाइबिलके एक स्थलमे एक ऐसे व्यक्तिकी कहानी है; जिसने अपने
पालतू कबूतरोके नीचे वाजका एक अंडा ख्गा रला था | यथासमंय
कबूतरोने उसमेसे बच्चा निकाछा । वह कबूतरोके अन्य बच्चोकी
तरह एथ्वीपरसे दाना चुंगने छगा; उन्हींकी तरह बंदी जीवन व्यतीत
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