रचना - पीयूष | Rachna Piyush
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
620 MB
कुल पष्ठ :
256
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about चन्द्रमौलि सुकुल - Chandramauli Sukul
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)प्रस्तावना ३
अभ्यास की। शक्ति का फाम पझपनी बुद्धि श्लौर विद्या पर
प्रवलम्बित है, परन्तु प्रभ्यास के लिए नियम श्रैर उदाहरण
ज़रूरी द्वोते हैं । इस पुस्तक में लिखित रचना का वर्णन হানা)
परन्तु यह भी उद्योग किया जायगा कि भाषित रचना सुधारने
का कोई अ्रवसर हाथ से न खेया जाय ।
रचना में दे। बाते' परम प्रधान होती हैं--( १) भाषा,
(२ ) भाव । भाषा के भ्रन्तर्गत भ्र्तर, शब्द, वाक्य है; इष-
लिए रचना में भत्तरो, शब्द, तथा वाक्यो का बिचार हना
चाहिए; किसी में भी भ्शुद्धि हे।ने से भाषा दूषित हो जाती
है। भाषा की शुद्धि तथा उसके नियमे का वर्णन व्याकरण
में होता है, और हम यह बात पहले से माने लेते हैं कि जिन
विद्याथिये| का रचना सिद्चाने फे लिए यह पुस्तक लिखो जाती
३ वे हिन्दी भाषा का साधारण व्याकरणे जानते ह ।
भाव का महत्त्व भाषा से भी अविक है। विचार करने
से मालूम द्वागा कि भाव के प्रकट करने ही फे लिए भाषा
है। भाषा कितनी ही सुन्दर हा, परन्तु यदि उससे भाव ठीक
ठीक प्रकट नहीं हावा ते वह व्यथे है। भाषा यदि कुछ
दूषित भी हा, परन्तु भाव साफ़ दिलत देता हे ते भाषा
के देष फो लोग प्राय: क्षपरा कर देते हैं। सबसे अच्छी बात
ते यह है कि भाषा और भाव दोनों सुन्दर हैं; शरीर प्र
कपड़े-लत्ते देनों साफ-सुथरे दें। ।
भाषा या भाव में किसी प्रकार का दोष दाने से सुननेवाले
User Reviews
No Reviews | Add Yours...