युद्ध - यात्रा | Yudd Yatra
श्रेणी : इतिहास / History
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
15 MB
कुल पष्ठ :
410
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)ললহী
मुसोलिनी के सैनिक बनो ।! “विव इल डुच'--“मुसेलिनी
জিন্হালাত 1? डुगडुगी पिटती जा रही थी ।
इस बार लूसी से न रहा गया। जिधर से आवाज़ आ *
रही थी उधर की खिड़की उसने बंद कर ली और कहा --
“में इन जानवरों के देखना नहीं चाहती | वर्दी पहन लेने
पर तो इनमें फ़कृत दुम की कसर रह जाती है। इटालियन
भी क्या कभी सैनिक बन सकते ह £
रास्ते से घर घर करती हुई एक मे(टर पर लदी ताप
निकल गई | हम लेगों के घर की पतली दीवार हिलने लगीं ।
थये सब पागल हो गये हें ! लड़ाई के सिवा इन्हें और
कुछ सूकता ही नहीं। ओर ते ओर, अपने साथ-साथ अब ये
इमे भी खींच ले जाना चादते ई! मेरी ते तबियत ऊब गई |,
“अ्रभी ते तैयारी ही हो रही है ।--मैंने कहा ।
“तैयारी क्या ? इटली की सीमा में प्रवेश करते ही तुम्हें
दिखलाई नहीं देता कि लड़ाई छिड़ चुकी है !?
“हाँ, नवीनता ते। ज़रूर है ।?
'इसे तुम नवीनता कहते हो ! मालूम नहीं, दम टीरोली
अभी द्वी कितना भेल चुके । यहाँ के किसी काफ़े वा नाचघर
में 'मायिज़? ओर 'युद्धन॒त्य” के सिवा ओर कुछ दिखलाई देता
है? कितने दिनों से मेरी तबीयत कर रही है कि---'री मत-
ও
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