खड़ीबोली का आंदोलन | Khadiboli Ka Andolan
श्रेणी : ऐतिहासिक कथा / Historical fiction
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लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
7 MB
कुल पष्ठ :
381
श्रेणी :
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No Information available about मुंशी देवीप्रसाद - Munshi Deviprasad
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)खड़ी बोली का आंदोलन
प्रथम अध्याय
खड़ी वोली की निरुक्ति, उ्पत्ति तथा
प्राचीन परंपरा
“सड़ी धोली' की निरुक्ति
हिंदी के जि स्वरूप फो राष्ट्रमापा का सम्मान दिया गया है वह मे
'पूरसागर! की हिंदी है न मानस पी, बल्कि 'खड़ी बोली? हिंदी है।
गौरव की इस चोटी तक पहुँचने के लिये उसे अनेक संथर्षों से होकर गुजरना
पट्टा दै। यद्द तो निर्विवाद हो गया है कि दिल्ली-मेएठ की प्रांतीय विमापा
कै द्राधार् पर ही वर्तमान राष्ट्रभापा हिंदी का विफास हुथ्रा है, परंतु श्रारंभ
में इसका नाम “पड़ी बोली? क्यो पड़ा--बह विद्वानों के तमाम प्रयक्षों के
बाद भी विवादग्रस्त ही दे ।
जदाँ तक ज्ञात हो सका है “उड़ी बोली? शब्द फा सबसे प्राचीन प्रयोग
सम् १८०३ ई० में लस्छनीलाल श्रौर सदल मिश्र ने फोटंविलियम कालेज
फलकरो में किय्रा और उसी वर्ष इन्हीं प्रयोगों के श्राधार पर गिलकिस्ट ने
भी 'पढ़ी बोली! शब्द का चार बार प्रयोग किया । इसके पूर्व इस भाषा
का फोट विशेष नाम महीं था ओर न नामकरण की श्ावश्यकता ही समझी
गईं। हिंदुस्तान की बोलचाल की भाषा छो बहुत दिनों से 'महेदुस्तानी?
फट्ठा जाता था । इस बोली के लिये श्रावश्यक्रवा पड़ेने पर “इंद्रमस्थ फी
बोली?, दिल्ली पी बोली? या 'हरियानी बोली! कहा जाता या और उसका
সখ মী হজে হা समझ में था चता या र्योकि किष्वी प्रात या देश के
नाम पर बहुधा वहाँ फी बोली माया का भी नामकरण होते देखा गया है,
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