श्रीमद्रामरसामृत | Shreemadramarsamrat
श्रेणी : धार्मिक / Religious, पौराणिक / Mythological
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5 MB
कुल पष्ठ :
116
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)बाठकारड ५
सरवससे वरवस दिए, न॒प हुड लाल ललाम ।
असुर-खवारी करि करी, मख-रखवारी राम ॥९०॥
कंज नयन হাসল অল, भव-भय-भजन नाम ।
मुनि-मन-रंजन हार हो, रहो चिरंजय गम ! ॥४१॥
जनक-नगर जग-भट जुट, सीय-सुयंवर-काम ।
राजि! विलोचन पोखिये, राजिव लोचन राम । ॥४२॥
साप-ताप पापनि छुटी, जा प्रताप मुनि-बाम ।
वा पद-रजते पाप मम, रज करि डरो राम ! ॥४३॥
हरि-जनके हियमें अहो !, रहे कहांते काम ?।
जित छवि छाज रावरी, रति-पति ज्ञाजे राम । ॥४४॥
भोरते कोर रह, जिन छोर सुख-धाम ।
धोर आनद-अमियके, पग तर तौर राम । ॥४६॥
जानति हों जग-पति ! जगत, विगत पं पशु जाम ।
जो इन पायन रत नहीं, पाय नर-तनहिं राम ॥४६॥
मिथिला-मोहन प्रसंग |
सरस सफल मिथिला दिप, प्रफुलित सुकृत-प्रताप ।
अमल उजल ऊ चे अटा, आतम मनो अपाप ॥४७॥
१ नेश्नोंकी पंक्षित
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