रहस्यमयी | Rahasyamayi
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
25 MB
कुल पष्ठ :
302
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)त रहस्यमयी
दो हज़ार दो सौ पौण्ड सालाना है जिसका आधा तुमको जिन्दगी भर के लिए
लिखे जाता हूँ शरथीत् संरक्षण स्वीकार करने प्र एक हजार पौण्ड सालाना
पुरस्कार तुमको मिलेगा, क्योंकि तुम्हें अपनी ज़िन्दगी इस काम में लगानी
पड़ेगी। सौ पौण्ड सालाना लड़के के भोजनादि के व्यय के लिए । बाकी
ग्यारह सौ पौण्ड सालाना तब तक जमा होता रहेगा जब तक लियो पच्चीस
साल का नहीं हो जाता । यह इसलिए कि जिस खोज की चर्चा मैंने तुमसे की
है उसमें वह लगना चाहे तो इस काम के लिए धन एकत्र रहे ।
मैंने पछा---और इसके पहले ही मैं मर गया तो ?”
“तब लड़के को कोटं भ्राफ वाडं सः (चांसरी) के सुपुदं केर जाना हाँ
इतना ध्यान रखना कि तुम्हारी वसीयत में लोहे का सन्दूक लड़के को दे दिये
जाने की बात जरूर रहे । होली, इस्कार न करो | विश्वास रखो, इससे तुम्हारा
भी भला होगा । तुम दुनिया में मिलने-छुलने योग्य नहीं हो--ऐसा करोगे तो
तुम्हारी कटुता भौर बढ़ेगी। चंद हफ्तों में ही तुम भ्रपने कालेज के 'फैलो'
बन जाओगे और वहाँ से तुम्हें जो कुछ मिलेगा तथा मै तुम्हारे लिए जो कुछ
छोड़े जा रहा हूँ उसके कारण विद्याभ्यास-पूर्ण अवकाश बिताने का पुरा सुभीता
तुम्हें हो जायगा, और भी जो कुछ खेल-कूद तुम पसन्द करोगे, उसके लिए भी
सुविधा हो जायगी ।”
वह ठहरकर बड़ी उत्सुकतापुर्वेक मेरी ओर देखने लगा । किन्तु मै तब भी
हिचकिचा रहा था । क्योंकि यह एक विचित्र प्रकार भी जिम्मेदारी थी ।
“होली, मेरे लिए इसे स्वीकार करो । हम लोग श्रच्छे मित्र रहे है, और
अब भेरे पास इतना समय नही है कि कोई दूसरी व्यवस्था कर सके |”
मैंने कहा--“बहुत अच्छा ! यदि इस कागज में कोई ऐसी बात न हुई जो
मुझे अपना मत बदलने को मजबूर करे, तो मैं इस काम को पूरा करूँगा ।”
और चाबियों के पास उसने जो लिफ़ाफ़ा मेज़ पर रख दिया था, उसे छूकर
उसकी ओर मैंने संकेत किया ।
“धन्यवाद होली ! धन्यवाद ! इसमें कोई ऐसी बात नहीं है । मेरे सामने
ईंदवर की शपथ लो कि तुम लडके के लिए पितृवत् रहोगे और मैंने जो निर्देश
दिये हैं उनका पूरी तौर पर पालन करोगे।”
मैंने गम्भी रतापुवंक कहा--“मैं शपथ लेता हूँ ।”
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