भूतनाथ की जीवनी | Bhotnath Ki Jeevani
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
7 MB
कुल पष्ठ :
180
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)(-. 2 , 3 বধ
केः उड़ियां मिली और तब ऊपर चढने के सीढियां दिखाई
दो ।गोपालसिंदह खीढियां चढ़ कर ऊपर पहुंचे और अब
जनन्हीने अपने फे। तिलिश्फी बाग के तीसरे दर्ज में पाथा ।
यह एक बड़ा बाग था जिसके बीच से एक नहर भी
जारी थी और बहुत से मेवे तथा फलों फे वेह भी भोज थे ।
गोपा लि श्त चाय मे चारो दरसु नजर दौड रहे थे कि
खा अने की तरफ थोडी दी दुर पर वनेहप संग्र के चनु
दरे कमी तरप उनकी मदर पडी ओर साथ हीवे छद् चैक
से गये, क्योंकि उस चोतरे के ऊपर उच्होंने उसी औरत के
बेड्ेश पड़े हुए देखा जिसकी खेाज़ में वे यहां तक आये धे)
तेजी के साथ चल कर वे उस चबूतरे के पास पहुँचे और एक
स्क उस बेहोश औरत की तरफ देखने लगे |
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लिंह ने किली पेसी औरत के। देखा था या नहीं जे! खूबसूरती
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थे ! वे सकते की री हालत में एक टक खड़े उसके चेहरे को
वरफ दे खने लगे | कमी उसके सुडौल मुखड़े के। देखते, कमी
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डाछते ओर कभी नाझ्ुक पैरों पर | देखते देखते उनकी यह
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