मधुमालती वार्ता | Madhumalti Varta

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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आकथन चतुर्न॑जदास कृत 'मधुमालती” हिंदी की एक प्राचीन प्रेमकथा है-जो विशुद्ध भारतीय शैली में लिखी गई है। चतुभुजदास नाम के एक से अधिक साहित्यकार हुए हैं, जिनमें से एक तो अष्टछाप के प्रसिद्ध भक्त थे; ओर “मघुमालती? नाम की भी एक से अधिक रचनाएं मिलती हैं; इसलिये हँमारे साहित्य के इतिहास लेखको ने इस रचना के लेखक ओर इसकी कथा के संबंध में प्रायः भूलें की हैं। उदाहरण के लिये हिंदी साहित्य के सबसे पुराने इतिहास लेखक मार्सा द तासी ने सं० १८६६ तथा पुनः सं० १६२७- २८ ( द्वितीय संस्करण ) में प्रकाशित अपने इतिहास ग्रंथ “इस्त्वार द ला लितरात्यूर एई ए पेदुस्तानीः मे लिखा है किं इसके लेखक चतुभनदास मिश्न हैं' ओर इसके नायक नायिका वे ही हैं जो दखिनी के प्रसिद्ध कवि नुसर्ती के 'गुलशन-ए-इश्कः के हैं।* इसी प्रकार मिश्रबंधुओ ने अपने “मिश्रबंधुविनोद”! भें इसे विद्वललाथ जी के शिष्य चवुभुजदास गोरवा की रचना बताया है [३ ' किंतु वास्तविकता यह है कि यह न चतुभुजदास मिश्र की रचनां है ओर न चतु्युजदास गोरवा की । इसके एक संशोधन-कर्चा माधव शर्मा ने लिखा है कि इसका लेखक कायस्थ था ; काय॒थ नाम चत्रुज जाको । मारू देस मयौ यह ताको । श्रौर जैसा हम आगे देखेंगे, इन माधव शर्मा का रचना काल सं० १६०० के आसपास है, इससे यह स्पष्ट है कि इसका लेखक कायस्य था ओर चतुर्भंजदास मिश्र तथा चतुभुजदास गोरवा से भिन्न था | इसी प्रकार इस ग्रंथ की कथा भी नुसरती के “गुलशंन-ए-इश्कः तथा ममन की भधुमालतीः की कथाश्नो से सर्वथा मिन्न है | १--द्वितीय सखस्करण ( स० १३२७ ), जिर्द्‌ १, प० ३८८ २-- वही, ८ सं ० १६२८ ), जिर्द्‌ २, ए० ४८५ ५ সি ০০০ ০. ১




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