भूदानी सोनिया | Bhoodaani Sonia

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Bhoodaani Sonia by उदय राज सिंह - uday raj singh

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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जन्म लेने के पहले दी नवीन अपने पिता को खो बेठा था । माँ भी उसे इस घरती पर गिरा कर चले बसीं। बड़े भाई ओर उसकी उम्र में काफ़ी अन्तर था । अतः उसकी भाभी ही उसकी माँ बनीं । आज भी वह अपनी भाभी को 'माँजी? कहकर पुकारता है । बड़े भाई के जीवन की छाप उस पर बहुत पड़ी। नवीन के बड़े भाई पक्के देशसेवक ये । वे सन्न्‌ २१के सहयोग शौर ३० के सत्याग्रह आन्दो- लनों में जेल जा चुके थे । किसानों के एक जुलूस की सदारत करते उन्हें एक बार गोली खानी पड़ी और जेल भी जाना पड़ा । घाव की वेदना ओर जेल की यातना ने उनके शरीर को जजर कर दिया और आखिर वहीं उनकी कुर्बानी हो गई; वे शहीद हो गये। इतना हो नहीं, इस कारड के बाद उनकी अमीन-जायदाद भी सरकार द्वारा जब्त कर ली गई। पति और सम्पत्ति दोनों को खोकर उनकी पत्नी अनाथ हो गई' । वह कहाँ जायं, क्या करं १ आखिर बालक नवीन को लेकर शहर चली आई । ' पढ़ी-लिखी थीं ही, एक महिल्वा-विद्याल्लय में अध्यापिका हो गईं । उन दिनि)




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