स्नेह - बंधन (ऐतिहासिक-नाटक) | Sneh Bandhan (Etihasik-Natak)
श्रेणी : उपन्यास / Upnyas-Novel
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
9 MB
कुल पष्ठ :
93
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)्ेह-बन्धन १२ |
সি क्र
ओर देखिये, उसी ओर अन्धेर, उसी ओर उपद्रव, उसी भोर राक्षसी
दिला काण्ड { रोदन, चिद्ठाह, भर॒ करुणा के अतिरिक्त कहीं कुछ
दिखा ही नदीं देता । भगवान ही मेवाड की रक्षा कर ! [ दौडक
'भिखारिनी का बन्धन खोलते हैं । ] कहो बहन, तुम्हें कौन इस वृक्ष से
আঁশ गया ? क्या तुम मुझे उसका नाम बता सकती হী?
भिखारिनी ( कंपित स्वर में )--नहीं, मैं उसे नहीं पहचानती |
इ इतना कड सकती ह, वे दोनों सिपाही थे। म अपने मानं पर
ची जारदी थी । सज्ञे पकड खाये | कहने लगे, तुम्हें रेणुका बनना
'यड़ेग़ा । मैं रोने छगी ! मुझे एकने वृक्ष से बॉय दिया, ओर दूसरा मेरा
णरा. दबाना चाहता था । किन्तु सौभाग्य से गला दबाने के पहले आप
आ पहुँचे ।
शक्तखिह-( कोध को दवाकर )-रेणुका को दध्या ! जान पड़ता
है, रेणुका की हत्या करनेवालों ने अपने मनो-विनोद के लिए यह अभि.
'नग्म रचा था | अच्छा बहन, अब तू जा ! तुझे कोई न बोल सकेगा |
५ मिखारिनी का प्रस्थान, शक्तसिंह कोध की गंभीर अवस्था में कुछ सोचते हैं ]
[ पट-परिवत्तेन ]
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