आर्चबिशप की मृत्यु | Aarchbishap Ki Mrityu

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Aarchbishap Ki Mrityu by कुमारी विला कैथर - Kumari Vila Kaithar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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आचंबिशप की मृत्यु “बह तो है ही प्रभुवर, परन्तु यदि आप “बाल्टीमोर की प्रांतीय कॉसिल को दो शब्द लिख दें, अपना कोई सुझाव दे दें तो--” “इसका प्रभाव पड़ेगा, ईसे मैं मानता है”, कार्डिनल ने *्मुस्कराते. हुए उत्तर दिया । ' 'और आर्थके कथनानुसार यह पादरी बुद्धिमान्‌, ज्ञानवान्‌ व्यक्ति है ? तो फिर आप ऐसे व्यक्ति को कौन से अच्छे जीवन में डालना चाहते है ! लेकिन मेरा ख्याल है, कि हरों के वीच जीवन विताने से तो यह बुरा नही है । आपके देश के विषय में मेरा ज्ञान फ़ेनीमोर कृपर द्वारा अंग्रेजी भाषा में लिखित पुस्तकों पर ही प्राधारित है, जिन्हें मैने बडे चाव से पढ़ा है। परन्तु क्या श्राप के पादरी को बहुत से विषयों का ज्ञान ই? उदाहरण के लिये, क्‍या उन्हें कला आदि में भी रुचि है ?”” “लेकिन महोदय, उसे इसकी क्या आवश्यकता पड़ेगी ? इसके अतिरिक्त वह आँवरने का रहने वाला है ।” इस पर तीनों काडिनल ठहाका मार कर हँस पड़े भर अपने गिलास फिर से भरने लगे। पादरी द्वारा बार-बार अ्रपती ही बात पर बल देने के कारण वे ऊब से रहे थे । “मुनिये”, स्पेनिश काडिनल ने कहा, “जव तक पादर महोदय লই दैम्पेन को पीकर मुझे अनुगृहीत करते हैं, मैं एक कहानी सुनाता हूँ । आपसे यह प्रदन पूछने का, जिसे आपने इतनी आसानी से समाप्त कर दिया, एक विशेष कारण है। वेलेंशिया के अपने पुदतैनी घर में मेरे पास महान्‌ स्पेनिश चित्रकारों के द्वारा रंजित अनेक चित्र हैं। ये चित्र मेरे परदादा द्वारा एकत्र किये गये थे, जिन्हें इस क्षेत्र का बड़ा अच्छा ज्ञान था तथा जो उस समय के अनुसार काफ़ी धनवान्‌ व्यक्ति थे। अल भीकों के चित्रों का उभका संग्रह, मेरे श्रनुमान से, सारे स्पेन में सर्वश्रेष्ठ है। मेरे परदादा की वृद्धावस्था सें एक बार न्यू स्पेन से एक धर्म-प्रचारक पादरी भीख १२




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