भारतीय जागृति | Bhartiya Jagriti

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Bhartiya Jagriti by विनीत - Vinit

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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विषय प्रवंश प्‌ू के नाम पर अपील की जाती है कि वे अपने श्ान्दोलन को शान्त करदें । कभी-कभी उन्हें अच्छे-अच्छे प्रतिष्ठित पदों का अथवा धन या जागीर आदि का प्रलोभन किया जाता है | साधारण मनुष्यों के लिए ये उपाय काफ़ी हैं, परन्तु दृढ़, गंभीर और सममदार नेता अपने तय किये हुए काम को जारी रखते हैं, वे इनसे चलायमान नहीं होते | दणठ-आन्‍्दोलन करने वालों की परीक्षा विविध प्रकार के शारीरिक आर मानसिक कष्ट देकर भी की जाती है। प्राचीन काल में धर्माधि- कारियों का बोलबाला था; उनका मुख्य दण्ड जाति-बाहर करना हुआ करता था, जिससे अभियुक्त अपने मित्रों के ही नहीं, वरन्‌ अपने सगे सम्बन्धियों के भी प्रेम से वचित रहं श्रौर नाना प्रकार की असु- विधां मेलं । श्राजकल राज्याधिकारी क्रोद, कोडे लगवाने, लाटी. वषं करने, जन्मभूमि से दूर कालेपानी भेजने, नजरबन्द करने, श्रादि की सजा देते ह । देशभक्तों के लिए जननी-जन्मभूमि की सेवासे वंचित रहना, जीते-जी मृत्यु की वेदना अनुभव करनाहै। तोभी वे, जहाँ तक हो सकता है, श्रपना कतव्य पालन करने से नहीं हटते। मेद-शान्दोलनों को दमन करने के लिए एक श्चौर उपाय भी काम में लाया जाता है। नेताओं में फूट डालने की कोशिश की जाती है । यदि यह सफल दहोजावे, उनमें अलग-अलग दलबन्दी हो जावे, तो लोगों के सामने बड़ी विकट समस्या पेदा हो जाती हैं| वे सहज ही यह्‌ नदीं जान सकते कि कौनसा नेता उन्दे श्रादशं लक्ष्य की प्राप्ति कराने में अन्त समय तक मदद देता रहेगा, ओर कौनसा बीच मम धार में उनका साथ छोड़ देगा; अथवा, कौनसा कायकर्ता अपने शुद्ध




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