सीता | Sita
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
11 MB
कुल पष्ठ :
124
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about पं. रूपनारायण पाण्डेय - Pt. Roopnarayan Pandey
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)४ सीता [ दसरा
मणि-मोती-रत्न आदि बहुमूल्य पदार्थ, उन्हें राहकी धूलकी तरह
सुरम हां ।
रक्षण- देवी सीताकी इच्छासे सदा असंभव भी संमव होगा ।
হান__হানুল, मेने आज सुना है कि दुर मधुपुरभे र्वण नामका
दैत्य घोर अत्याचार करके प्रजाको सता रहा दै । भैया, तुम सेना
लेकर शीघ्र उसके विरुद्ध युद्ध-यात्रा कर दो ।
रत्ुघ्न--महाराजकी आज्ञा सिर-आंखोपर दै ।
राम- चरो, अव अन्तःपुरमं चले । दो-पहरका समय हो गया है |
अब माताके पास चलकर देखूँ, उनकी पूजा समाप्त हुई या नहीं ।
सब ॒राज-परिवारकी कुराल-वाक्त भी पूषछनी दै । आओ, ईइधरसे
धूमते हुए चर । अव समा विसजन करो ओर अंतःपुरमं चरो ।
( सब्रका प्रस्थान )
दूसरा दृश्य
स्थान--राजमहलका अन्तःपुर
समय--सायंकाल
[ सीता, उर्मिला, माण्डवी, श्रुतिकी्ति और शान््ता ]
सीता-- वे सब पुरानी बाते अब फिर क्या कहूँ ? कई बार तो
कह चुकी हूँ ।
शान्ता--और एक दफा कहो । मुझसे तो तुमने एक दफा भी
नहीं कही । मेरे कहनेसे ओर एक दफा कह डालो ।
उर्मेझा--मैं तो जितना सुनती हूँ, उतना ही और सुननेको जी
चाहता है । मुझे तो वे सब बातें किसी मायामय उपन्यासकी ऐसी
जान पड़ती हैं ।
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