हिंदी प्रचार का इतिहास | Hindi Prachaar Kaa Itihaas
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
उन्नव राजगोपाल - Unnav Rajgopal,
भालचंद्र आपटे - Bhalchandra Aapate,
श्री शा. रा. शारंगपाणि - Shri Sha. Ra. Sharangpani
भालचंद्र आपटे - Bhalchandra Aapate,
श्री शा. रा. शारंगपाणि - Shri Sha. Ra. Sharangpani
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
129 MB
कुल पष्ठ :
695
श्रेणी :
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लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :
उन्नव राजगोपाल - Unnav Rajgopal
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भालचंद्र आपटे - Bhalchandra Aapate
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श्री शा. रा. शारंगपाणि - Shri Sha. Ra. Sharangpani
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)1
“ मुझे दुख है कि आपके आयोजित उत्सव में मैं शरीक नहीं हो पाता हूँ;
लेकिन सोचता हूँ कि वह बहुत ही गंभीर ओर महत्वपूंण उत्सव होगा, क्योंकि
वह हमारे प्रिय राष्ट्रति, जो कि सभा के अध्यक्ष भी हैं, की अध्यक्षता में संपन्न
होनेवाठा है। उत्सव की मैं हर तरह की सफलता चाहता हूँ |”
तिसबनतपुरम, 19-17-61
> সং সং
श्री एप, निजलिगपा,
मुख्य मंत्री, मैसूर--- |
८... सभा के प्रधान मंत्री की हैसियत से दो दशाब्दियों से
श्री मो. सयनारायण बहुत हृद तक दक्षिण भारत मे, ओर कुष्ठ हद तक भारत के
दूसरे प्रदेशों में भी सभा के कार्यकलापों के विकास के छिए ज़िम्मेवार रहे हैं ।
दक्षिण के कोने-कोने में जो असंख्य हिन्दी-वग चल रहे हैं, वे उस संस्था के
संगठन, मिशनरी उत्साह तथा आवेग के परिचायक हैं, जिसका निर्माण
श्री सत्यनारायण के कुशल हाथों में रहा है। हिन्दी के प्रति उनका विशुद्ध प्रेम
उनकी निष्ठा, उनकी संगठन-शक्ति, ओर सबसे बढ़कर उनका सोम्य व्यक्तित्व
सबने मुझे मोह लिया। उनका सहयोगी होना आनंद की बात है। ऐसे घनिष्ठ
मित्र के संबंध में अधिक कहने में संकोच होता है ।
“४ क्या मैं आपके साथ मिलकर श्री सत्यनारायण की सफल सेवा के भनेकों
वर्षो की कामना कर सकता हं
बेंगलूर, 19-7-267 | |
मे मै नैः
पंडित गोविन्द वल्लभ पंत
ग्रह-मंत्री, भारत सरकार, की तरफ से उनके निजी सचिव श्री हेच, के, टेंडन---
“ श्री मो. सत्यनारायण के 36 वष के सेवा-कार की समाप्ति पर दक्षिण
भारत हिन्दी प्रचार सभा उनको एक अभिनेदन-प्रंथ समर्पित करनेवाली है, यह
सुनकर भारत संघ के गृह-मंत्री प्रसन्न हैं। श्री सत्यनारायण ने दक्षिण में हिन्दी
प्रचार के लिए महत्वपूर्ण सेवाएँ की हैं; ओर आशा है कि वह आंदोलन, जिसमें
उन्होंने प्रमुख भाग ख्या है, भविष्य में ओर अधिक परगति करता जाएगा
इस अवसर पर पंतजी अपनी बधाइयाँ और शुभकामनाएँ भेजते हैं |”...
मै সং मनैः
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