रक्षक - भक्षक | Rakshak Bhakshak

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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से पेड छ्िपवा है ? घरे भई, कमीशन न देना हो न देना, पर में तो चही करूँगा जिसमें तुम्हारी सत्लाई हो | वस हम से कह दो कि क्या चाहते हो, बस জী অন की रिपोर्ट तेयार कर दू' । हां, नहीं वो तुम भी क्या कहोगे कि किसी रईस से पाला पढ़ा था । डाक्टर भटनागर से इस लहलजे में कभी बातचीत झुनमे के आदी मे होने के काशण डा० लच्मणस्वरूप को बढ़ा आश्यय हुआ। इतना तो वे समझ गये कि इस दुनिया में इस प्रकार के काम बहुत हीते हैं । वे ही इससे अनभिज्ञ थे। नहीं नहीं, अनभिन्न नहीं वे जान- बूफकर इससे अल्थग रहते श्रे | डनकी अन्तरात्मा जानती है कि वे अब भी इसमे अलग रहना चाहते हैं, पर उनकी पत्नी सत्यभामा, पुत्री बीणा तथा पुत्र विक्रास हिसी को तरफ से कोई सहयोग भी वो हो। अेल्लीफोन के रिसीवर को कान रें ल्गागे हुए थे एक मुहूर्त में इन सारी बातों को सोच गये । मस्लाकर बोले--यह क्‍या दिल्‍्लगी है, मेरी समझ में नहीं श्राती | तुम वो झुमे बचपन से जानते हो। में ऐसी बातों में विश्वास नहीं करता । में तो अपने कार्य को एक सेवा समम्रता ह्र । उधर से डाक्टर भटनागर फिर हँसे । बोले--हा-हा-हा-हा, में कब कहता हूँ कि यह सेवा नहीं है। पर यह भी तो याद रखो कि ऐसी सेवा क्रिस काम की जिसके साथ मेवा खाना लगा न हो | क्‍या किया जाय --रोगी और डाक्टर का सम्बन्ध, भचंय-भक्षक का सम्बन्ध कर दिया गया हैं | जो घोड़ा घास से सारी करे तो खाये क्या? शौर यह जो जो तुमने कहा कि तुमने कभो ऐसा काम नहीं किया, লী भां के पेट से कौन इस कामों को सीख कर आता ই......? शायद्‌ डाक्टर सटनागर और कुछु कहते पर उनकी वातो कौ बीच में काटकर डाक्टर लच्मणस्वरूप ने कहा--भई, में तो बिल्कुल सच्छी रिपोर्ट चाहता हूं ।--कहकर उन्होंने ऋष्ल्याहट के साथ देली- फोन बन्द कर दिया | नौ




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