प्राचीन लेख मणि माला (प्रथम खण्ड) | Pracheen Lekh Mani Mala (Pratham Khand)

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Pracheen Lekh Mani Mala (Pratham Khand) by श्यामसुंदर दास - Shyam Sundar Das

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( २३ ) विश्रहराजः' काह दलले नित्त धीरुक के पुत्र धीरनाग ने सट्टूलित किया | चाहमान वश मे गूवक ( प्रथम ), उसका पुत्र चद्धरान, उसका पुत्र गबक ( द्वितीय ) , उसका पुत्र चन्दन ( जिसने तोमर राजकुमार रुद्रन--रुद्रपाल ( ? ) को पराजित किया ), उसका पुत्र वाकृपातिराज ( जिसने तन्त्रपाक को पराजित किया ), उसका पूत्र सिंहराज ( जो किसी “लवण? का समकराटान धा), उसका पुत्र विग्रहराज । महाराजा घिराज सिहराज का एक भाई जिप्तका नाम वत्सरान धा ओर (विग्रहराज का छोड कर) तीन बेटे दुर्लभराज, चन्द्रराण और गोनिन्दराज थे | ( ४५ ) बि० सं० १०३०-वबी० जी० भाग ५ पृष्ठ ३००। चौल्क्य मृछराज प्रथम का बड़ौदा ( पाटन ) में दानपत्र | (ই ১ बवि० सं० १०३१-३० ए० भाग ६ पृष्ठ ९१ | धरमपुर ( इन्दौर ) के परमार महाराजाधिरान बाकपति राजदेव का दानपत्र जो उज्जयनी में दिया गया था | वेशादली इस प्रकार है। कृष्णराज, वेरिसिह, सीयक, वाकपातिराज-अमोघवर्ष | € ৪৩১ वि० © १० ३दद्र-जर ब्र ए० पो ० भाग ३१ पृष्ठ ३९३ | । [कच्छपघाट] महाराजाधिरन बज्रदामन के समय का खालियर में एक... जैन मृतिपद पर खण्डित शिलालेख | ( ४८ ) वि० से? १०३७४-राजस्थान भाग १ पृष्ठ ८०२| कनल टाड सतपुर के एक शिलालेख का अनुवाद देते हैँ जो गृहिल शक्तिकुमार के समय হা ম্লান হানা ছু |




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